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11 मई 2013

एक लड़के को दोस्त बनाया हमने

एक लड़के को दोस्त बनाया हमने
किन्तु कभी ना उसे आजमाया हमने
हम ज़माने के चलन से थे बेखबर
उसकी दरियादिली का हम पर कभी हुआ ना असर
वो हम पर खुद का हक जमाता रहा
कदम कदम पर ऊँगली पकड़ चलना सिखाता रहा
नादानियां समझ हम हर बार नज़रंदाज़ करते रहे
और वो हम पर पुरजोर बिफरते रहे
टोका टाकी जब अपनी हदें पार करने लगी
नजदीकियां बेमानी सी बढ़ने लगीं
तब हमारी अंतरात्मा ने हमें चेताया
रोको अब बस पानी सर से गुज़र आया
हमने अब उनसे दूरियां बनाने की ठानी
वो थे अड़ियल हमारी एक ना मानी
घुटन जिन रिश्तों में महसूस होने लगे
ऐसे रिश्ते भला हम क्यूँ ढोने लगे
धीरे धीरे हमने भी कर लिया किनारा
काश !!हमारी इस बेरुखी से पहले ही
वो समझ जाते हमारा इशारा
तो राम रहीम का रिश्ता तो कायम रह जाता
फिर से किसी को दोस्त बनाने से पहले ही
हमारा भरोसा तो ना उठ जाता
पर क्या करें यही जिंदगी का चलन है
दुनियाँ में दुनियादारी निभाना भी एक भरम है
सीखने लगे हैं हम भी जिंदगी के फलसफे
किसी के सीमा लांघने से पहले ही हम किनारा करने लगे
जिन रिश्तों में होने लगे घुटन वो बेमानी हैं
की है गर दोस्ती तो दोस्ती खुद की सीमाओं में ही निभानी है .....अंजना

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