आपका-अख्तर खान

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10 मई 2013

खो गए सारे शब्‍द

खो गए सारे शब्‍द
देता नहीं कोई
एक आवाज भी अब
जबकि
जानता है वो
वही थी एक आवाज
मेरे जीने का संबल

वो जा बैठा है
दूर...इतनी दूर
जहां मेरा रूदन
वो सुनकर भी नहीं सुनता
ना ही
पलटकर देखता है कभी
एक बार

रेत के समंदर में
रोज उठता है
एक तूफान
मेरे वजूद को ढक लेती है
रेत भरी आंधि‍यां....
आस भरी आंखों में अब है
रेत....केवल रेत

मिर्च सी भरी है आंखों में....अब रोउं भी तो कैसे....देखो जानां....एक तेरे न होने से क्‍या-क्‍या बदल जाता है.....

..........रश्‍मि शर्मा

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