खो गए सारे शब्द
देता नहीं कोई
एक आवाज भी अब
जबकि
जानता है वो
वही थी एक आवाज
मेरे जीने का संबल
वो जा बैठा है
दूर...इतनी दूर
जहां मेरा रूदन
वो सुनकर भी नहीं सुनता
ना ही
पलटकर देखता है कभी
एक बार
रेत के समंदर में
रोज उठता है
एक तूफान
मेरे वजूद को ढक लेती है
रेत भरी आंधियां....
आस भरी आंखों में अब है
रेत....केवल रेत
मिर्च सी भरी है आंखों में....अब रोउं भी तो कैसे....देखो जानां....एक तेरे न होने से क्या-क्या बदल जाता है.....
..........रश्मि शर्मा
देता नहीं कोई
एक आवाज भी अब
जबकि
जानता है वो
वही थी एक आवाज
मेरे जीने का संबल
वो जा बैठा है
दूर...इतनी दूर
जहां मेरा रूदन
वो सुनकर भी नहीं सुनता
ना ही
पलटकर देखता है कभी
एक बार
रेत के समंदर में
रोज उठता है
एक तूफान
मेरे वजूद को ढक लेती है
रेत भरी आंधियां....
आस भरी आंखों में अब है
रेत....केवल रेत
मिर्च सी भरी है आंखों में....अब रोउं भी तो कैसे....देखो जानां....एक तेरे न होने से क्या-क्या बदल जाता है.....
..........रश्मि शर्मा
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