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29 मई 2013

आमरस में धीमा जहर, कैंसर समेत कई बीमारियों का है खतरा

जयपुर। क्या आपको पता है कि जो आम आजकल आप खा रहे हैं, वह धीमा जहर है ? शहर की मंडियों में इसे जिस 'मसाले' (बोरों में कैल्शियम कार्बाइड की पुडिय़ा डालकर) से पकाया जाता है, उससे कैंसर समेत कई बीमारियों के खतरे हैं। अफसोस कि 3 साल पहले भास्कर ने मुहाना मंडी में खुलेआम हो रही इस आपराधिक लापरवाही की रिपोर्ट छापी थी, लेकिन तब सीएमचओ और फूड सेफ्टी कमिश्नर महज एक कार्रवाई करके सो गए।


अब फिर ने मंडी व कई जगहों पर फल पकाने का काम देखा। जब व्यापारियों को बताया गया कि भारत समेत कई देशों में कार्बाइड से फल पकाने पर कानूनी प्रतिबंध है, तो वे बोले- हम कई साल से ऐसा करते आ रहे हैं, स्वास्थ्य को नुकसान जैसी बातों का उन्हें पता नहीं।

मंडी में फल पकाने का दूसरा तरीका नहीं है। अलग चैंबर बनाने की मांग पर भी मंडी समिति ने कुछ नहीं किया। इस बारे में समिति से पूछा तो उसने स्वास्थ्य विभाग और सरकार पर बात टाल दी। इस मामले में ठोस कार्रवाई नहीं करने के सवाल पर  फूड इंस्पेक्टर, सीएमएचओ और फूड सेफ्टी कमिश्नर कुछ भी स्पष्ट कहने बचते रहे।फूड इंस्पेक्टरों को कार्बाइड से फल पकाने की प्रक्रिया नजर नहीं आती, सीएमएचओ को भी इसी तरह की रिपोर्ट दी।

हकीकत :भास्कर ने मुहाना मंडी में देखा कि धड़ल्ले से फल पकाने में इसका उपयोग। फोटो भी जुटाए। व्यापारियों ने भी मजबूरी बताते हुए इसे स्वीकारा।कैल्शियम कार्बाइड से पके फलों की सैंपलिंग की व्यवस्था नहीं, लैब से प्रक्रिया जानी तो उन्होंने नहीं बताई। ऐसे में केस नहीं बना सकते।

हकीकत : फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006 के सेक्शन 58 में कार्बाइड पर सीधे कार्रवाई की जा सकती है। इसके लिए मौके से फल पकाने के काम लिए जा रहे कार्बाइड की बरामदगी शो कर कार्रवाई संभव है। जिसके तहत फर्द रिपोर्ट बनाकर गवाह बनाते हुए कोर्ट में इस्तगासा भी लगाया जा सकता है। इन्हीं फूड इंस्पेक्टर्स की ओर से गुटखे वाले मामले में इसी तरह कार्रवाई की जा चुकी है, जिसके लिए फूड सेफ्टी कमिश्नर ने ही आदेश जारी किए थे।
- रवि प्रकाश शर्मा, सीएमएचओ सैकंड

क्या करना था : फल पकाने का सर्वाधिक काम मुहाना मंडी में, जो सबसे बड़ी मंडी है। यह सीएमएचओ सैकंड के क्षेत्र में। अधीनस्थ फूड इंस्पेक्टर्स से कार्बाइड पर कार्रवाई करवाते। इंस्पेक्टर्स मौका देखने जाते हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं होती।

क्या कहते हैं : फूड इंस्पेक्टर्स के मुहाना मंडी और दूसरी जगहों पर निरीक्षण के दौरान कैल्शियम कार्बाइड के उपयोग की बात सामने नहीं आई। इस मामले को गंभीरता से लेकर कार्रवाई कराएंगे।
- डॉ. बी.आर.मीणा, फूड सेफ्टी कमिश्नर

क्या करना था: फूड सेफ्टी एक्ट सहित स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से आए निर्देशों के तहत कार्रवाई सुनिश्चित कराते। कार्रवाई नहीं करने वालों पर कार्रवाई करते।
अब कहते हैं : (कई बार संपर्क करने और मैसेज करने के बावजूद उनका जवाब नहीं मिला।)

अब तो बील भी जहर बन जाएगा?
आम ही नहीं मरीजों के लिए सबसे मुफीद माने जाने वाले केला व पपीता भी इसी तरह पकाकर बेचे जाते हैं, जबकि कैंसर व अन्य घातक बीमारियों के इलाज से पहले व बाद में मरीजों को ऐसे फल नहीं खाने की सख्त मनाही है। हैरानी तो यह है कि अब तो आसानी से उपलभ्ब्ध अमृत फल बेल भी इस तरह बिक रहा है। कार्बाइड के कारण उस पर लाल रंग का निशान साफ नजर आ रहा है। ठेले वालों ने बताया कि मंडी से लाए बोरों में कार्बाइड की पुडिय़ा निकलती है।

फल पकाने के लिए (आम सहित) चैंबर बनाने सहित कई मांगे हमने मंडी समिति को लिखी हुई है, लेकिन इन पर कार्रवाई नहीं हो रही।
-गोविंद चेलानी, अध्यक्ष, जयपुर फल थोक विक्रेता संघ
 कार्रवाई और सैंपलिंग स्वास्थ्य विभाग का काम है। वे आते भी हैं, उन्हीं को ध्यान देना चाहिए। चैंबर बनाने के लिए स्टेट कमेटी अलॉटमेंट करती है, फिर हमारा काम शुरू होता है। -प्रमोद कुमार, सेक्रेट्री, मंडी समिति, मुहाना

स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से फूड सेफ्टी कमिश्नर्स को लिखा जा चुका है कि प्रिवेंशन ऑफ फूड अडल्ट्रेशन रूल्स, 1955 के नियम 44 एए के मुताबिक फलों को पकाने के लिए कार्बाइड का उपयोग गैर-कानूनी है। कैल्शियम कार्बाइड से फल पकाने में करना काफी खतरनाक है। इसमें कैंसर-कारी पदार्थ हैं। इसके अलावा त्वचा, किडनी, लीवर और पाचन तंत्र संबंधी बीमारियों को भी आमंत्रित करता है। वर्तमान में लागू फूड सेफ्टी एंड स्टैंडड्र्स एक्ट 2006 के मुताबिक भी यह बैन है।

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