आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

06 मई 2013

शाम का वक़्त हैं

शाम का वक़्त हैं
और मैं यहाँ तनहा
तुम्हारी यादो के संग हूँ
आलू के पराठो की सोंधी सुगंध
तुम्हारा जल्दी से आना
और कहना
लंच टाइम हैं
जल्दी जाना होगा
शाम को मिलती हूँ
कहकर मुझे बहलाना!

शाम को तुम्हारी सहेली का इर्द- गिर्द होना
विपरीत रास्ता होने पर भी
मेरा भीड़ में
बस पर तुम्हारे साथ चढ़ जाना
और महसूस करना
उस रस्ते भर तुम्हारी खुशबू
और महक को
भर लेता था अंतर्मन में

करवटे बदल कर
रात गुजर जाती थी
सुबह के इंतज़ार में
एक बार फिर से
लंच टाइम के इंतज़ार में


अब तुम दूर देश में
अपने अपने के साथ
जब बनाती होगी
मसालेदार आलू के पराठे
और लगाती होगी ठहाके
तो कही न कही
जरुर कसकता होगा
मेरा प्यार
और तुम मेरे नाम से भी
एक कौर
जरुर खाती होगी

मजबुरिया क्या नही करवाती सोना
जानती हो सामने वाली बेंच पर
एक जोड़ा खा रहा हैं लंच बॉक्स से
मसालेदार आलू के पराठे
खुशबू सारे माहौल में हैं
पराठो की भी
उनकी मोहब्बत की भी

पर .......क्या?
फिर से एक नया इतिहास लिखा जायेगा
और कोई मेरी तरह ऐसे ही
पेड़ के नीचे यादो में खो जायेगा

चलो जाने दो !!
तुम खुश तो हो न सोना
मैंने तो आलू के पराठे खाने ही छोड़ दिए ................नीलिमा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...