सुप्रीम
कोर्ट ने बलात्कार के एक मामले की सुनवाई के दौरान यह महत्वपूर्ण फैसला
दिया कि अगर किसी पुरूष का शादी का इरादा है और वह महिला की सहमति से सैक्स
करता है तो वह दुष्कर्म नहीं है भले ही किसी कारण शादी न हो पाये.
इस मामले में लड़की ने पुरूष पर शादी नहीं करने पर रेप का मामला दर्ज करवाया था. उसने लड़की से शादी का वादा किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बलात्कार व सहमति
से सैक्स में स्पष्ट अंतर है. इस मामले में कोर्ट को सावधानीपूर्वक देखना
चाहिए कि क्या अभियुक्त वाकई पीडिता से विवाह करना चाहता था या उसने किसी
बुरे इरादे के साथ ऎसा किया,या उसने अपनी कामुकता को पूरा करने के लिए झूठा
वादा किया. वादा पूरा नहीं होने व वादा पूरा नहीं करने में अंतर है.
दुष्कर्म व सहमति से सैक्स में अंतर स्पष्ट
करते हुए कहा गया कि दुष्कर्म बेहद निंदनीय कृत्य है क्योंकि यह पीडिता के
शरीर,दिमाग व निजता पर हमला है. जहां एक हत्यारा शारीरिक ढांचे को
क्षतिग्रस्त कर देता है वहीं एक बलात्कारी असहाय स्त्री की आत्मा को मैला
कर देता है.
गौरतलब है कि हरियाणा में एक निचली अदालत ने
अभियुक्त को सात साल के कारावास की सजा सुनाई थी जिसे पंजाब व हरियाणा
हाईकोर्ट ने बहाल रखा था. सुप्रीम कोर्ट ने दोषी को बरी कर दिया. तब तक वह
सात में से तीन साल की सजा काट चुका था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घटना के समय लड़की
19 साल की थी और उसे शारीरिक संबंध बनाने से हाने वाले असर की पूरी जानकारी
थी. उसे यह भी मालूम था कि जातीय व विभिन्न कारणों को देखते हुए उसकी शादी
होना मुश्किल है. इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि अभियुक्त के साथ शारीरिक
संबंध बनाने में उसकी सहमति न रही हो.
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