आपका-अख्तर खान

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31 मई 2013

देश का कल्याण हो सके क्या आप सभी लोग मेरे सुर में सुर मिलाने का संकल्प लेंगे इस सुर का प्रचार करेंगे अगर हां तो शुक्रिया अगर ना तो शुक्रिया अगर मोनानुकुल्त तो भी शुर्क्रिया

 आज एक फेसबुक मित्र विजय शर्मा साहब से चर्चा हो रही थी जो ग्वालियर में पढ़े ...भोपाल मे रहे और अब दिल्ली में जो भारत का दिल है उसमे बसते है ...उन्होंने पूंछा आपके क्या हाल है मेरा जवाब था मेरे हाल तो ठीक है लेकिन देश के हालात ठीक नहीं चल रहे है ...सभी चिंतित थे .इस बहस में इस चिंतन में एक विचार आया के जिस लोकतंत्र को हमारे नेताओं हमारे वोटर्स ने भीड़ तंत्र बनाकर देश के साथ बलात्कार किया है उसके लियें पहले तो लोकतंत्र का तरीका जहाँ एक अंगूठा लगाने वाले का भी एक वोट और एक राष्ट्रपति जेसे स्तर के व्यक्ति का भी केवल एक वोट बुद्धिजीवी और बुद्धिहीन में कोई फर्क नहीं केवल गिनती ..हम सोचते है अगर वोटर जी हाँ देश का वोटर अगर ईमानदार हो जाए .देश का वोटर अगर निष्पक्ष हो जाए ..देश का वोटर अगर जाग जाए ..देश का वोटर पार्टियों में जाती में धर्म में समाज में अगर नहीं विभाजित हो ..देश का वोटर अगर प्रभावित ना हो ..देश का वोटर अगर थोड़े से लाभ के लियें बिक़े नहीं बदले नहीं .कुल मिलाकर लोकतंत्र और ईमानदारी के चयन इमानदारी के निर्वाचन के लियें निष्पक्ष और निष्प्रभाव होकर अगर वोट करे और खुद घर से निकल कर वोट करे तो निश्चित तोर पर इमानदार नेता का निर्वाचन होगा इमानदार सरकार का निर्वाचन होगा और ऐसे लोग जनता के प्रति जवाब दार भी रहेंगे क्योंकि इनकी आका जनता होगी कोई पार्टी का नेता या फिर की समर्थक नहीं .वेसे निर्वाचन आयोग का नाकारापन ..निकम्मापन केवल हाथी के दातों की तरह दिखावा  करना भी इस मामले में ज़िम्मेदार ठहराया जाता है जब मनमाना प्रचार ..अख़बारों टी वी  में रूपये लेकर खबरों का संचार ..लोगों के घरों तक पर्चियां नहीं फुन्च्नाका वोटर लिस्ट में सही नाम नहीं आना कई नाम छुट जाना निष्पक्ष चुनाव नहीं होना पार्टी और राजनितिक दलों की मान्यता के सिद्धांत और नियमों की पालना नहीं करवाना भी बुरे लोगों को राजनीति में लेन के लियें ज़िम्मेदार है .वरना किसी भी पार्टी में अगर आंतरिक लोकतंत्र हो और निर्वाचन आयोग के नियमों से पार्टी के राष्ट्रिय अध्यक्षों और पदाधिकारियों का चुनाव हो तो क्या गडकरी .क्या राजनाथ सिंह .क्या सोनिया गाँधी .क्या राहुल गाँधी .क्या मुलायम सिंह .क्या मायावती .क्या जयललिता .क्या ममता बनर्जी पार्टी की कमान सम्भाल सकते है नहीं न तो फिर चलो खुद का आज से अच्छे नेक इमानदार राष्ट्रभक्त वोटर बनाकर सोचते है ताकि देश का कल्याण हो सके क्या आप सभी लोग मेरे सुर में सुर मिलाने का संकल्प लेंगे इस सुर का प्रचार करेंगे अगर हां तो शुक्रिया अगर ना तो शुक्रिया अगर मोनानुकुल्त तो भी शुर्क्रिया .अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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