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14 मई 2013

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का राजस्थान अल्पसंख्यक विभाग की मनमानी और उपेक्षा .... सरकार की विफलता और अल्पसंख्यकों के शोषण का सुबूत बन गया है और इस विभाग की असफलता के चलते राजस्थान के अल्पसंख्यकों को रिझाने की कोशिशें नाकाम हो गयी है .

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का राजस्थान अल्पसंख्यक विभाग  की मनमानी और उपेक्षा .... सरकार की विफलता और अल्पसंख्यकों के शोषण का सुबूत बन गया है और इस विभाग की असफलता के चलते राजस्थान के अल्पसंख्यकों को रिझाने की कोशिशें नाकाम हो  गयी है .........अशोक गहलोत ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिविजय सिंह की तर्ज़ पर राजस्थान में अल्पसंख्यक विभाग का गठन किया था और इस बार अमीन  जेसे नासमझ व्यक्ति को इस विभाग का मंत्री बना कर राजस्थान के अल्पसंख्यकों के लियें विफलता का एक इतिहास रच दिया केवल कागज़ी घोशनाए ..टी वी और अखबारी विज्ञापन और धरातल पर अंगूठे के आलावा कुछ नहीं मिला है ..अल्पसंख्यक विभाग में बंदरबाट ..भ्रष्टाचार .मनमानी और निकम्मेपन से ज्यादा कुछ नहीं है ...अल्पसंख्यक विभाग में कहने को तो एक प्रिसिपल सेक्रेट्री है लेकिन उनका होना नहीं होना बराबर है कभी उन्होंने जिलों में सम्भागों में जाकर अल्पसंख्यकों की सुनवाई नहीं की प्रतिनिधियों से नहीं मिले विभागों की कार्यप्रणाली का ओचक निरिक्षण नहीं किया बस ऐसी में बेठे कुछ मीटिंगे की और विदियोकोंफ्रेसिंग की मामला खत्म ..अमीन खान मंत्री जी का तो कहना ही क्या उन्हें तो अल्पसंख्यक की परिभाषा भी पता नहीं है वोह अल्पसंख्यकों के कल्याण की जगह बर्बादी का मंत्रालय चला रहे है इस सरकार के कार्यकाल में चाहे मदरसा बोर्ड हो ..चाहे वक्फ बोर्ड हो चाहे हज कमेटी हो सभी भ्रष्टाचार के घेरे में रहे है अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम और मेवात बोर्ड तो बने ही नहीं एक झुनझुना वक्फ विकास परिषद बनाया है जिसने कम करना ही शुरू नहीं किया केंद्र सरकार का अरबो रूपये का बजट प्रतिवर्ष बिना उपयोग के वापस जा रहा है .मदरसों के कम्प्यूटर कहा है पता नहीं ..मदरसों की नियुक्तियों में भ्रष्टाचार जाँच का क्या हुआ पता नहीं वर्ष दो हजार बारह की स्वीकृत पोस्टों का क्या हुआ पता नहीं .वक्फ बोर्ड के घोटालों का क्या हुआ पता नहीं ...वक्फ बोर्ड के अतिक्र्म्नकरियोन का क्या हुआ पता नहीं वक्फ बोर्ड के सर्वेक्षण की अधिसूचना अब तक जारी नहीं की गयी ...जिलों में अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ..प्रोग्राम अधिकारी पर या तो सेवानिव्रत्त लोग है या फिर नाकारा मास्टरों को भर्ती किया गया है जिनका की विजन नहीं ...विभागों में रिटायर्ड गेर्ज़िम्मेदार क्र्म्चैयों को लगाया गया है ......जयपुर निदेशालय का तो बुरा हल है जो निदेशक लगता है उसके पाँव में घुँघरू बन जाते है और वोह किसी भी जिले में कलेक्टर बनने की जुगत में लग जाता है मक्खन बाज़ भ्रस्ताचार के सिरमोर आरोपियों से विभाग भरा पढ़ा है हर कथित अधिकारी कर्मचारी पर भ्रष्टाचार के प्रमाणित अपराध है कोई नियुक्तियों में घोटाला करता है कोई बजट में गडबडी करता है जिलेवार कोई निगरानी नहीं है विभाग में कोई ज़िम्मेदारी नहीं है छात्रवृत्ति कब आई कब तक छात्रों तक पहुंचाना है ....ऋण सुविधा का क्या करना है किसी को कोई खबर नहीं सिर्फ ल्फाज़ी और बाते ही बाते है झूंठे फर्जी आंकड़े देकर खुद भी खुश हो रहे है और सरकार को भी गुमराह कर रहे है ...कोटा अल्पसंख्यक विभाग तो सियासी अखाडा बन गया है एक काम करते हुए प्रोग्रामम अधिकारी कोई विधि विरुद्ध तरीके से हटाया कोई सुनवाई नहीं सियासी सिफारिश इन विभागों को नचा रही है और गरीब लोग आज भी प्रेषण है योजनाओं का प्रचार प्रसार नहीं हो रहा है मस्जिदों मदरसों में पार्षदों पंचों और मुस्लिम सिक्ख इसाई जनप्रतिनिधियों के जरिये योजनाओं का प्रचार नीं किया जा रहा है केंद्र की योजनाओं का लाभ आम जनता तक नहीं पहुँच रहा है ......प्रधानमन्त्री पन्द्राह सूत्रीय कल्याणकारी कार्यक्रम योजना का तो इन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारीयों ने सत्यानास ही नहीं सवा सत्यानास कर दिया है अव्वल तो वक्त पर बैठकें नहीं होती है और बैठकें होती है तो अल्पसंख्यक अधिकारी जो बैठक का सचीव होता है उसे बैठक की कार्यवाही लिखना नहीं आता मीटिंग के मिनिट्स सही तरह से नहीं लिखे जाते जो निर्णय होते है उनकी क्रियान्वित नहीं होती कलेक्टर भी इस मामले में उपेक्षित व्यवहार रखते है क्योंकि मंत्री और प्रिसिस्पल सेक्रेटरी इस विभाग को  बोझ समझते है जिलों में तो अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारीयों की हालत बुरी है मास्टर है तो वहां  भी मास्टरी झाड़ते है दफ्तरों से गायब रहने के उनके पास सेकड़ों बहाने है कुल मिलाकर निरंकुश इस विभाग का निचे से ऊपर तक मेजर ओपरेशन कर इस विभाग के हालात नहीं सुधारे गए तो समझो गहलोत सरकार की इस विभाग की विफलता के चलते उलटी गिनती शुरू है और इसके लियें मूल रूप से अल्पसंख्यक विभाग में मंत्री ...प्रिसिस्पल सेक्रेट्री ..निदेशक अल्पसंख्यक विभाग अधीनस्थ कर्मचारी भ्रष्ट कामचोर अधिकारी फर्जी बयानबाजी ज़िम्मेदार है अभी भी वक्त है के सरकार इस विभाग के सादे गले अंगों को निकल कर इसे स्वस्थ करे ताकि सरकार की बदनामी बच सके वरना नतीजे भुगतने को तो तय्यार रहना ही होगा .................................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

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