अचानक थम जाए, चलती हवा
और सांझ डूबने को हो
तो लगता है
किसी के बेवक्त चले जाने का
मातम मना रही हो वादियां....
* * * * *
फिर आया था एक काला बादल
मेरे हिस्से के आस्मां पर
बिन बरसे चला गया
मेरे हाथों में है मरी तितली का पंख
क्या इस बार बरसात
आई भी नहीं और चली गई.....
* * * * *
हो जाओ समर्पित
या करा लो समपर्ण
जब दरमियां पसरा हो तनाव
तो बस यही एक आसरा है
इसके बाद
अहम से बड़ा कुछ और नहीं....
* * * * *
चलो एक बार फिर से खेलते हैं
छुप्पम-छुपाई
जो पकड़ में आया, वो हारा
नहीं तो सब खेल खत्म
बचपन, जाता कहां है हमारे भीतर से.....
* * * * *
.......रश्मि शर्मा
अचानक थम जाए, चलती हवा
और सांझ डूबने को हो
तो लगता है
किसी के बेवक्त चले जाने का
मातम मना रही हो वादियां....
* * * * *
फिर आया था एक काला बादल
मेरे हिस्से के आस्मां पर
बिन बरसे चला गया
मेरे हाथों में है मरी तितली का पंख
क्या इस बार बरसात
आई भी नहीं और चली गई.....
* * * * *
हो जाओ समर्पित
या करा लो समपर्ण
जब दरमियां पसरा हो तनाव
तो बस यही एक आसरा है
इसके बाद
अहम से बड़ा कुछ और नहीं....
* * * * *
चलो एक बार फिर से खेलते हैं
छुप्पम-छुपाई
जो पकड़ में आया, वो हारा
नहीं तो सब खेल खत्म
बचपन, जाता कहां है हमारे भीतर से.....
* * * * *
.......रश्मि शर्मा
और सांझ डूबने को हो
तो लगता है
किसी के बेवक्त चले जाने का
मातम मना रही हो वादियां....
* * * * *
फिर आया था एक काला बादल
मेरे हिस्से के आस्मां पर
बिन बरसे चला गया
मेरे हाथों में है मरी तितली का पंख
क्या इस बार बरसात
आई भी नहीं और चली गई.....
* * * * *
हो जाओ समर्पित
या करा लो समपर्ण
जब दरमियां पसरा हो तनाव
तो बस यही एक आसरा है
इसके बाद
अहम से बड़ा कुछ और नहीं....
* * * * *
चलो एक बार फिर से खेलते हैं
छुप्पम-छुपाई
जो पकड़ में आया, वो हारा
नहीं तो सब खेल खत्म
बचपन, जाता कहां है हमारे भीतर से.....
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.......रश्मि शर्मा
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