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12 मई 2013

दोस्तों यही फर्क है माँ में और हम तुम झूंठ फरेब धोखा कर समाज में झूंठी अपनी छवि बनाने वाले कुपुत्रों में जो एक अच्छा पति अच्छा बन्ने के चक्कर में माँ को भूल जाता है उपेक्षित कर देता है ...

दिनेश मिश्र
तेरी कही हुई हर बात पर, नहीं कभी इंकार करता हूँ !
मै कभी भी नहीं कहता कि, माँ मै तुझे प्यार करता हूँ !!
दोस्तों हमारे इस  के देश में कल केवल एक दिन मदर्स डे के रूप में माँ के बारे में सोचा गया इस संस्क्रती इस सोच को लेकर केवल एक दिन माओं पर बढ़े बढ़े कसीदे पढने वाले ..लिखने वाले घरों में मेने झाँक कर देखा यकीन मानना अलफ़ाज़ झूंठे थे घर में माँ का बुरा हाल था ऐसा दिखावा क्यूँ सच से क्यूँ भागते है हम पत्नी के आगे अपनी व्यस्तता के आगे माँ की उपेक्षा करने वाले हम लोग खुद को झूंठी कहानियाँ गढ़ कर फर्माबरदार बीटा साबित करने में क्यूँ लग गये है खुद अपने दिलों की धड़कन देखे दिलों पर हाथ रख कर देखे और अपनी पत्नी खुद की सोच माँ के प्रति देखें खुद की सेवा देखें खुद के अन्दर   का सच तलाशे और सच बोले सच लिखे सच स्वीकारे ताके साल में केवल एक दिन मदर्स डे की जरूरत नहीं हो हर पल हर क्षण हर दिन हर लम्हा सिर्फ और सिर्फ मदर्स डे हो मदर्स डे हो लेकिन क्या इस भाग दोड मोक़परास्ती और खतरनाक बहुओं पत्नियों घरेलु हिंसा और दहेज़ प्रताड़ना के झूंठे मामलों के इस दोर में हम ऐसा कर पा रहे हैं नहीं न फिर क्यूँ झूंठ बोलते है एक  आप है जो माँ की खिदमत किये बगेर बीवी से डर कर माँ की उपेक्षा करने के बाद भी माँ की खिदमत करने के फर्जी और झूंठे कसीदे पढ़ रहे है और दूसरी तरफ एक माँ है जो इतनी उपेक्षा ..इतनी बेईज्ज़ती ..इतनी बेरुखी और अपमान के बाद भी तुम्हारे लियें कहती है मेरा लाल लाखों में एक है लाखों में एक है अल्लाह उसे सलामत रखे दुनिया की  खुशियाँ दे तो दोस्तों यही फर्क है माँ में और हम तुम झूंठ फरेब धोखा कर समाज में झूंठी अपनी छवि बनाने वाले कुपुत्रों में जो एक अच्छा पति अच्छा  बन्ने के चक्कर में माँ को  भूल जाता  है उपेक्षित कर देता है ...........अख्तर खान अकेला

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