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01 मई 2013

आदेश मिले तो चीन को कड़ा जवाब देने को तैयार भारतीय सेना!


नई दिल्ली. आर्मी चीफ जनरल बिक्रम सिंह ने लद्दाख में चीन की घुसपैठ के बारे में सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट कमेटी को जानकारी दी। आर्मी चीफ ने पीएम मनमोहन सिंह और सीनियर कैबिनेट मंत्रियों को बताया कि यह स्‍थानीय समस्‍या है। जनरल सिंह ने इस समस्‍या के समाधान के लिए सेना द्वारा उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी भी सरकार को दी। सूत्रों के मुताबिक आर्मी चीफ ने कैबिनेट को ऐसे पांच उपाय सुझाए हैं जो मौजूदा समस्‍या को हल करने के लिए उठाए जा सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक जनरल सिंह ने कैबिनेट से कहा है कि यदि आर्मी को आदेश मिलता है तो वह चीनी सैनिकों द्वारा गाड़े गए पांच तंबुओं तक पहुंचने वाली सप्‍लाई का रूट काट सकती है। इसके अलावा भारतीय सेना चीनी घुसपैठ के जवाब में ऐसे इलाके पर अपना दावा करते हुए अपने झंडे गाड़ सकती है जो विवादित है। आर्मी चीफ ने कहा है कि भारतीय सेना सीमा पर गश्‍त फिर से शुरू कर सकती है जिसमें चीनी सेना की मौजूदगी के चलते बाधा आ रही है। ऐसा कर भारतीय सेना अक्‍साई चीन में चीनी कैम्‍प के बेहद करीब गश्‍त करने में कामयाब हो सकती है।
 
बुधवार को कैबिनेट की बैठक में भी चीन की घुसपैठ का मसला उठा। इस बैठक में सेना प्रमुख को भी बुलाया गया। लेकिन खुफिया विभाग और वरिष्‍ठ सरकारी अधिकारियों को इस बात की उम्‍मीद कम ही है कि लद्दाख में घुस आई चीनी सेना हमेशा के लिए चीन लौटेगी। उनका मानना है कि पूर्वी लद्दाख के राखी नुल्‍लाह में घुस आई चीनी सेना वहां से कभी वापस नहीं गई। ऐसी ही स्थिति फिर से बन गई है। उनका यह भी मानना है कि घुसपैठ के जरिए चीन यह आंकना चाहता है कि भारत इस पर कैसी प्रतिक्रिया देता है। ऐसी घटनाओं पर अब तक भारत की प्रतिक्रिया कूटनीतिक ही रही है।
 
लद्दाख में चीन की सेना के सीमा में अंदर तक घुसने की घटनाओं के इतर चीन के आम नागरिक भी अवैध रूप से घुसपैठ करते पकड़े गए हैं। पिछले तीन साल (2010-12) में ऐसे 13 मामले सामने आए हैं जिनमें स्थानीय चीन या तिब्बत के नागरिकों को सीमा पर अवैध रूप से घुसने की चेष्टा में गिरफ्तार किया गया। हालांकि सभी मामलों में उन्हें वापस भेज दिया गया या फिर वहां के स्थानीय अधिकारियों को फ्लैग मीटिंग के दौरान सौंप दिया गया। अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2013 में ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है। 
 
अवैध घुसपैठ करने वाले अधिकतर चीनी नागरिकों का कहना था कि वे चिकित्सा संबंधी जड़ी-बूटी के संग्रहण के लिए भारत आए हैं। ऐसे ही एक मामले में जनवरी 2010 में सीमा पर तैनात भारतीय अधिकारी चौंक गए जब उन्होंने चीन की सेना पीएलए के एक कर्मी को बूमला में गिरफ्तार किया। चेंग हैंग शेंग नामक इस पीएलए कर्मी ने भी चिकित्सा के लिए जरूरी जड़ी-बूटी की खोज ही घुसपैठ की वजह बताई थी। शेंग को बाद में पीएलए के अधिकारियों को सौंप दिया गया। 
 
वर्ष 2010 में ही जुलाई महीने में नीमा शेरिंग, सोनम दोरजी और ताशी दोरजी नामक तीन चीनी नागरिकों को सेना और आईटीबीपी की संयुक्त टीम ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग में गिरफ्तार किया गया। उन्हें भी बाद में चीनी अधिकारियों को सौंप दिया गया। एक अधिकारी ने कहा कि पिछले तीन साल में घुसपैठ के 13 मामलों में 9 चीनी नागरिक अवैध रूप से भारतीय सीमा में घुसपैठ करते पकड़े गए। 
 
13 मामलों में 7 तिब्बत नागरिक पकड़े गए। तिब्बत के नागरिकों में से अधिकतर ने अपने भारत में अवैध प्रवेश की वजह अपने धर्मगुरु दलाई लामा से मुलाकात करने की इच्छा बताई। आईटीबीपी के एक अधिकारी ने कहा कि अधिकतर ऐसे मामले बूमला, ग्योरिया (अलांग), बाढ़ीकांग में सामने आए हैं। वहां इन मामलों के बाद निगरानी बढ़ा दी गई है। 
 
विदेश मंत्री को विवाद हल होने की उम्मीद 
 
विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने चीन के साथ मौजूदा विवाद हल होने की उम्मीद जताई है। उन्होंने कहा, ‘हमारी अपनी एक व्यवस्था है। जब भी ऐसी कोई घटना होती है इसी व्यवस्था के तहत उसका हल किया जाता है। मुझे उम्मीद है कि इस बार भी समस्या का हल निकल आएगा।’

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