शीर्ष कोर्ट ने यह भी कहा कि वर्तमान एवं भावी पीढ़ियों के लिए देश में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की जरूरत है। कोर्ट ने अधिकारियों से परमाणु उर्जा संयंत्र में कामकाज शुरू करने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वालों पर दर्ज आपराधिक मामले वापस लेने की कोशिश करने के लिए कहा। कोर्ट ने ने संयंत्र की शुरुआत, इससे संबंधित सुरक्षा और पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर 15 दिशा निर्देश भी दिए।
न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति
दीपक मिश्रा की पीठ ने हालांकि सरकार को सुरक्षा और संयंत्र के संचालन की
देखरेख पर एक विस्तृत निर्देश जारी किया। अदालत ने संयंत्र को चालू करने की
अनुमति देते हुए कहा कि परमाणु ऊर्जा देश के विकास के लिए अत्यधिक जरूरी
है और जीवन के अधिकार तथा टिकाऊ विकास के बीच संतुलन बिठना जरूरी है।
अदालत ने कहा कि कई विशेषज्ञ समूहों ने कहा
है कि विकिरण के कारण परमाणु संयंत्र के आसपास के इलाके में खतरे की कोई
सम्भावना नहीं है। अदालत ने कहा कि लोगों को होने वाली थोड़ी असुविधा की
जगह व्यापक जनहित को तरजीह दी जानी चाहिए। अदालत ने भारतीय परमाणु ऊर्जा
निगम और परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड को संयंत्र की सुरक्षा के लिए सभी कदम
उठाने का निर्देश दिया।
इससे पहले, न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने इस परियोजना के खिलाफ दायर याचिकाओं
पर पिछले साल दिसंबर में सुनवाई पूरी की थी।
परमाणु विरोधी कार्यकर्ताओं ने कुडनकुलम
परमाणु परियोजना को सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किए जाने के आधार पर
चुनौती दी। याचिकाओं में कहा गया था कि इस संयंत्र में सुरक्षा के बारे में
विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों पर अमल नहीं किया गया है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)