आपका-अख्तर खान

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07 मई 2013

एक खुशी की कविता लिखने का मन है ...

एक खुशी की कविता लिखने का मन है ...

एक छोटी सी बच्ची से उधार ली उसकी आँखें
उसकी उमंग भी ...
नंगे पाँव भी लिए उधार उसके
जिनमे बज़ रही थी पतली पायल
छम-छम
पार्क के कोने में फूलों की क्यारी तक गया मैं
उसी के नन्हें हाथों से जमीन में ढूँढा
और पाया एक बीज
ले आया हूँ उसे घर अब मैं
रोंप दिया एक गमले में
रोज उसमे पानी दूंगा
और उन्ही आँखों में अंकुर फूटने की प्रतीक्षा
उसी का विश्वास भी ले लिया मैंने
और अब विश्वास है यह बीज बनेगा पौधा
खुशी का ......खूब हरा ...खूब भरा ,खूब सुन्दर

राघव ,
अभी-अभी
७/५/१३

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