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28 मई 2013

धर्मगुरुओं की सियासी चापलूसी कर पद हथियाने के बाद देश में भ्रष्टाचार और पतन की शुरुआत हुई

 धर्मगुरुओं की सियासी चापलूसी कर पद हथियाने के बाद देश में भ्रष्टाचार और पतन की शुरुआत हुई
दोस्तों मेरे एक फेसबुक मित्र से चर्चा के दोरान एक तथ्य ...एक चिंतन ..एक शोध विचार उभर कर सामने आया है के भारतीय राजनीति में भ्रष्टाचार को बढ़ावा धार्मिक लोगों के राजनीति में आने की ललक प्रमुख देन है ..आज़ाद भारत में जब दंगे फसादात का माहोल था हिन्दू मुस्लिम दंगे हो रहे थे भारत पाकिस्तान बंटवारा हो रहा था तब हमारे इस देश में एक तो हिन्दू बन गया और एक मुसलमान बन गया कुछ लोग जो हिन्दुस्तानी बने वोह आज वोटर बनकर आम आदमी बनकर धक्के खा रहे है लेकिन दोस्तों आप सभी जानते है धर्म की सियासत करने वाले लोग आज ऊँचे ओहदों पर है समाज में इजात दर नागरिक के नाम से जाने जाते है ऊँचे मकान बढ़ी बढ़ी गाड़ियाँ इन लोगों के पास है .......जी हाँ दोस्तों भारत की सियासत का आप खुद ओपरेशन करे .देश के इस माहोल के चलते हर पार्टी को देश में सरकार बनाने के लियें आम आदमी ..हिन्दुस्तानी नागरिक से ज्यादा मुसलमान ..हिन्दू ..सिक्ख . इसाई की जरूरत होती है ........जी हाँ दोस्तों हिन्दू मुस्लिम या कोई भी जाती समाज के धर्म गुरु हों इन्होने देश की राजनीति को समझा दिया है के उनके मजहब से जुड़े लोग उनके ही पीछे है और इसीलियें आज सियासी मंचो पर आम हिन्दुस्तानी कम हिन्दू और मुस्लिम धर्मगुरु ज्यादा नज़र आते है .......धर्मगुरुओं ने अपने अपने धर्म का प्रचार प्रसार ..शुद्धिकरण ..अपने धर्म के लोगों को शिक्षा देने का काम तो त्याग दिया है और सियासत की दोड़ में कुर्सी हथियाने की कोशिशों में जुटे है ....इससे समाज में तो विक्रति आई है क्योंकि धर्मगुरु धर्म को उनकी समर्थित पार्टी की तरफ लेजाकर वोट बेंक बनाने की कोशिश में धर्म को भूल गए है ..भाई को भाई से लड़ा रहे है हिन्दुस्तान का अस्तित्व हिन्दुस्तानी के रूप में जो बना था उसे खत्म कर में हिन्दू में मुसलमान में सिक्ख में इसाई का माहोल बना रहे है और अब कोई भी सियासी पार्टी हो उसने राजनीति में इसे अपनी जरूरत मान लिया है हालात यह है के हर पार्टी में अब सभी धर्मों के धर्मगुरु मस्जिद ..मन्दिर ... मजार ... मट्ठ ..पाठ शालाएं मदरसे छोड़ कर सियासत के ऊँचे ओहदों पर है पार्टी का आदमी वर्षों पार्टी के झंडे बेनर उठाता है और एक दिन में धर्मगुरु सांसद ....मंत्री ..या फिर किसी बोर्ड ..कोर्पोरेशन का चेयरमेन बन जाता है ..दोस्तों  मोलवी .... मुल्ला ..काजी ..मुफ़्ती ..पंडित .सन्यासी .पुजारी ..महंत के सियासत में आने से धर्म अशुद्ध हो गया है धर्म की शिक्षा देने वाले भ्रष्ट हो गये है साधू सन्यासी पीर फकीर जो सरकार को शिक्षा और उपदेश देते थे उनके मुंह सियासी निवाले के बाद सिल गए है धर्म तो गया लेकिन सियासत और देश का भी बहुत बढ़ा नुकसान हुआ है इन लोगों ने कुर्सियों पर बेठ कर भ्रष्टाचार को नजराना ...हदिया .भेंट पूजा ....चंदा .........जुरमाना .....उपहार .दक्षिण के नाम पर भ्रष्टाचार को आम कर दिया है कोई भी धर्म किसी भी धार्मिक गुरु को बिना कुछ रोज़गार किये हराम की कमाई की इजाज़त नहीं देता है .याने कोई भी व्यक्ति किसी रोज़गार के बाद ही कुछ कमाएगा और फिर वोह उसे अपने व् अपने परिवार का पेट भरेगा लेकिन उपहार ..नजराना ......हदिया .भेंट पूजा के नाम पर धर्म और धर्म के सिद्धांतों को बेचने वाले धर्म के नाम पर सियासत करने वाले यह लोग अपना निशाना कुर्सी तक लगते है और इसके लिए वोह खुद भी गिरते है और धर्म को भी गिराते है ......एक सियासी समझ वाले व्यक्ति का अनुभव है के ऐसे लोग जब एयर कन्डीशन ट्रेन में सफर करते है तो वहा की चादर कम्बल तक नहीं छोड़ते है ..इतना ही नहीं पांच सितारा होटलों में या फिर सर्किट हाउस सरकारी गेस्ट हाउस में जब यह ठहरते है तो वहां से यह लोग साबुन ..कंगा तोलिया ...चादर तक चुरा लाते है ..इनकी सोच छोटी होने से यह चिंदी चोर कहलाते है और इन्हीं चिंदी चोरों की वजह से राजनीति में भ्रष्टाचार आम हो गया है ..........सियासत यह समझते नहीं इसलिए कुर्सी मिलने पर इनके विभाग में कुप्रबंध चापलूसी और धार्मिकता फेल जाती है ....धर्म का प्रचार यह पार्टी और अपने आका नेता के लियें करते है इसलियें धर्म का सत्यानास यह खुले रूप में करते देखे जाते है ना महबूब मिलता है न विसाले सनम ........धर्म भी गया ..देश भी गया और ठगा गया आम आदमी आम हिदुस्तानी ..कुर्सी और पावर मिलने पर यह अपने मदरसों ..अपने मठों पाठशालाओं के लियें खुला चंदा कर भ्रस्ताचार का तांडव करते है सरकारी खर्च पर लाखों करोड़ो किलोमीटर की यात्राएं बेकार करते है ..यात्राएं इधर उधर   कर सरकार पर बोझ डालते है ....इतना ही नहीं सरकार द्वारा दिया जाने वाला अतिथि सत्कार का भत्ता तक खा जाते है .....अपने सियासी चमचों के साथ यह लोग मुफ्त में मोजमस्ती करने विदेश और देश के महत्वपूर्ण स्थानों अपर सपरिवार घुमने जाते है .....ऐसे चिंदी चोर धार्मिक गुरु जब नेता बन जाते है साधू संत ..पीर फकीर धर्म के नाम पर सियासत करते है तो देश के पतन की शुरुआत देश में भ्रह्स्ताचार का नाम शिष्टाचार भेंट पूजा कर यही लोग करते है कहते है पांचो उँगलियाँ बराबर नहीं होती और सभी धर्मगुरु एक जेसे नहीं होते लेकिन जो धर्मगुर देश की बात करते है जो धर्मगुरु धार्मिक शिक्षा और आचरण की बात करते है वोह आज भी खामोश अपने कामों में जुटे है स्वाभिमान उनकी पूंजी है लेकिन जो लोग धर्म के नाम पर कोंग्रेस भाजपा ओर इन पार्टियों में भी अपने नेता को खुदा से बढ़ा खुदा और भगवान से बढ़ा भगवान समझने लगे है तो जनाब इनके फोलोअर्स भी ऐसे ही होंगे और देश दिशाहीन होकर ठगा जा रहा है .आपके इर्दगिर्द भी कई ऐसे धर्म गुरुओं के सियासत में आने की किस्से होंगे जिन्होंने कुर्सी हथियाने के लियें धर्म बेच कोम बेचीं और अब चिंदी चोर बनकर देश को दीमक बनकर चाट रहे है अगर ऐसी जानकारी हो तो प्लीज़ जनता को उजागर करे ............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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