आपका-अख्तर खान

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15 मई 2013

मेरी तन्हाई में साये को जरा आने दे

मेरी तन्हाई में साये को जरा आने दे
ऐ मेरे दिल मुझे चिराग तो जलाने दे
वो मेरे पास नहीं है, उसकी यादें तो है
उसके हर खत को होठों सो लगाने दे
आईने में बड़ा मायूस तेरा चेहरा है
कम से कम अक्स को तो मुस्कुराने दे
बांध न तू मुझे ऐ जिंदगी दुनिया से
इस नशेमन से परवाज को उड़ जाने दे

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