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28 मई 2013

मेरे जज्बात से जुड़े

मेरे जज्बात से जुड़े
लिखे गए हर अलफ़ाज़ को
वोह अपनी कहानी समझते है
मेरे अल्फाजों में छुपे दर्द को
वोह अपना दिया हुआ दर्द
इन अल्फाजों में छुपे महके प्यार को
वोह अपना प्यार समझते है
सोचता हूँ
कितने नादान है वोह
यह तो मुस्व्विरी है
यह तो बाजीगरी है अल्फाजों की
में उनके लियें
उनके प्यार में
उन्हें पाने के लियें
उन्हें पढाने के लियें
उन्हें रिझाने के लियें
लिख रहा हूँ
ऐसी नादानी भरी समझ
वोह क्यूँ और किस्लियें रखते है
अगर वोह ऐसा समझते है
तो लो
आज फिर हम उन्हें
अपनी दोस्ताना लिस्ट से
बाहर बिलकुल बाहर करते है ......
अख्तर खान अकेला कोटा

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