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15 मई 2013

पुलिस, गवाह, वकील जज, सबको साथ मिलाया और बरी हो गए वरुण


नई दिल्ली। भाजपा के महासचिव वरुण गांधी भड़काऊ भाषण मामले में यूं ही बरी नहीं हुए हैं। उन्होंने इसके लिए पुलिस, वकील, जज और गवाहों को अपने साथ मिलाया। केस प्रभावित करने के लिए पार्टी के खिलाफ भी काम किया। तब कहीं जाकर बरी हुए। यह आरोप लगाए हैं तहलका मैगजीन ने। स्टिंग ऑपरेशन के जरिए राज उजागर किया गया है। इसमें वरुण गांधी से जुड़े कई लोगों की बातचीत दर्ज है। 
 
वरुण ने 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान एक समुदाय विशेष के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिया था। उनके खिलाफ उत्तरप्रदेश में पीलीभीत के बरखेड़ा थाने में तीन केस दर्ज हुए। कुछ समय तक उन्हें जेल में रहना पड़ा। फिर जमानत पर रिहा हो गए। इस साल चार मई को पीलीभीत की अदालत ने उनके खिलाफ कोई सबूत न मिलने के कारण उन्हें रिहा करने का फैसला सुनाया। राज्य सरकार इसके खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील की तैयारी कर रही है। 
 
तहलका के दावे 
 
-गवाहों के बयानों के दौरान कई मौके ऐसे आए जबकि जज अदालत में मौजूद ही नहीं थे। 
-कई गवाहों के बयान पुलिस ने लिखे। फिर उनके अंगूठे लगवा लिए। पुलिस अधीक्षक अमित वर्मा ने हिंदू गवाहों को पक्ष में किया। 
-सरकारी वकील ने वीडियो की जांच करने वाले फॉरेंसिक विशेषज्ञों से जिरह ही नहीं की। 
-उत्तरप्रदेश के 2012 के विधानसभा चुनाव में वरुण ने पीलीभीत से भाजपा के प्रत्याशी सतपाल गंगवार को हारने के लिए कहा। 
-इस तरह समाजवादी पार्टी के रियाज अहमद को जिताया गया। बाद में रियाज ने मुस्लिम गवाहों को वरुण के पक्ष में करने में मदद की। 
-रियाज पहले वरुण की मां मेनका गांधी के सहयोगी रहे हैं। अब प्रदेश में मंत्री हैं। 
-भड़काऊ भाषण रिकॉर्ड करने वाले तीन पत्रकार-तारिक अहमद, रामवीर सिंह, शारिक परवेज भी बयान से पलट गए। उन्हें खरीदा गया। 

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