नई दिल्ली. चीन ने रविवार देर शाम लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी सेक्टर
से अपने सैनिक हटा लिए। लेकिन इसके लिए भारत को काफी मशक्कत करनी पड़ी और
उसे भी अपने सैनिक पीछे करने के लिए राजी होना पड़ा। विदेश मंत्रालय के
प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन के अनुसार चीन और भारत की सीमा की स्थिति 15
अप्रैल जैसी फिर से हो गई। इसके लिए दोनों देशों के बीच फ्लैग मीटिंग हुई
थी। जिसके बाद स्थिति फिर से सामान्य हो गई है।
चीनी सैनिकों के घुसपैठ को लेकर कई दिनों से दोनों देशों के बीच
गतिरोध बना था। इसे दर करने के लिए कई दिनों से विदेश सचिव रंजन मथाई के
नेतृत्व में राजनयिक मुहिम चलाई जा रही थी। वह सेना के अधिकारियों से भी
तालमेल बनाए हुए थे। चीन में भारतीय राजदूत एस. जयशंकर ने मुहिम की अगुआई
संभाल रखी थी।
इस मुहिम का नजीता हुआ कि रविवार शाम चार बजे दोनों देशों के सैन्य
अफसरों के बीच फ्लैग मीटिंग हुई, जो सफल रही। इससे पहले तीन दौर की फ्लैग
मीटिंग बेनतीजा रही थी। रविवार को तीन घंटे से भी ज्यादा देर तक चली बैठक
के बाद शाम साढ़े सात बजे कमांडरों ने हाथ मिलाए और दोनों देशों की सेनाओं
को अपनी-अपनी सीमा में जाने और तंबू उखाड़ने के आदेश दिए गए।
इससे पहले भारत का विदेश मंत्रालय फोन के जरिए लगातार चीन के संपर्क
में था। बीजिंग में भारतीय राजदूत एस. जयशंकर खुद चीन के अधिकारियों से
मीटिंग के लिए दो बार मिले।
चीनी सैनिकों के पीछे हट जाने के बाद भारतीय सेना भी रात के दस बजे तक अपनी वास्तविक पोजिशन पर आ गई थी।
चीन के करीब 50 सैनिक 15 अप्रैल को वास्तविक नियंत्रण रेखा से भारतीय सीमा में करीब 19 किलोमीटर भीतर लद्दाख
के दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) सेक्टर में घुस आए थे। तब से पांच तंबू गाड़े
बैठे थे। उन्हें चीन की तरफ से करीब 25 किलोमीटर दूर से रसद मिल रही थी।
भारतीय सेना ने भी उन पर नजर रखने के लिए उनसे करीब 300 मीटर दूर तंबू गाड़
रखा था।
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