जयपुर। राज्य में तबादलों से बैन हटने के तुरंत बाद पहले ही दिन
मंत्रियों, विधायकों व अन्य जनप्रतिनिधियों के यहां कर्मचारियों की भीड़
जुटना शुरू हो गई। मंगलवार को सचिवालय के मंत्रालय भवन में भी दिनभर भारी
भीड़ रही। तबादलों की चाहत रखने वाल सरकारी कर्मचारियों की सबसे ज्यादा
भीड़ शिक्षा मंत्री ब्रजकिशोर शर्मा और चिकित्सा राज्य मंत्री राजकुमार
शर्मा के चैंबर में रही।
तबादला चाहने वालों की गहमागहमी सीएमआर, सीएमओ, विभिन्न मंत्रियों के आवासों और दफ्तरों में भी काफी रही। तबादलों के इच्छुक राजनीतिक कार्यकर्ता पीसीसी में भी सक्रिय रहे। अपने स्थानांतरण के लिए सचिवालय में आए कर्मचारियों के अपने-अपने तर्क थे। वे कागजों और आवेदन पत्रों के साथ आए थे।
बहुतों ने खुद की या परिवार के किसी सदस्य की बीमारी का हवाला देते हुए अपना तबादला गृह जिले में करने का आग्रह आवेदन में किया था, तो कुछ ऐसे भी थे जिनकी पत्नी या पति जिस शहर में नौकरीपेशा हैं, वहां के लिए तबादले की अर्जी लेकर आए। मंगलवार दोपहर जब ज्यादातर मंत्री अपने चैंबर में नहीं थे, लेकिन उनके इंतजार में कर्मचारी मंत्रालय भवन के बाहर बैठे थे। महिलाएं बड़ी तादाद में नजर आईं और इनमें से काफी के साथ तो बच्चे भी थे।
सभी की अर्जियां लीं
सुबह-सुबह से ही सिविल लाइंस स्थिति मंत्रियों के घरों पर भी कर्मचारियों की भीड़ रही। मुख्य तौर पर शिक्षा मंत्री, चिकित्सा मंत्री, सहकारिता एवं खाद्य मंत्री आदि के सरकारी आवासों पर दिन भर कर्मचारी आते-जाते रहे। मंत्रियों ने भी सभी को सुना और उनकी अर्जियां लेकर उनके तर्क सुने।
शिक्षा विभाग में भी कसरत शुरू
बीकानेरत्नप्रतिबंध हटने के साथ ही शिक्षा विभाग में तबादलों को लेकर कसरत शुरू हो गई है। राज्य सरकार को ऑनलाइन फार्म भरवाने के प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं। प्रतिबंधित जिलों में भी तबादलों को लेकर उम्मीद जताई जा रही है। यह मामला सीएमओ में लंबित बताया जा रहा है।
पहले नीति बने
अखिल राजस्थान विद्यालय शिक्षक संघ (अरस्तु) के प्रदेशाध्यक्ष रामकृष्ण अग्रवाल ने मुख्यमंत्री से मांग की कि शिक्षा विभाग में तबादला प्रक्रिया तब ही शुरू की जाए, जबकि नीति-निर्देश जारी हों। यदि ऐसा नहीं किया गया तो इसमें धांधली की आशंका बनी रहेगी।
तबादला चाहने वालों की गहमागहमी सीएमआर, सीएमओ, विभिन्न मंत्रियों के आवासों और दफ्तरों में भी काफी रही। तबादलों के इच्छुक राजनीतिक कार्यकर्ता पीसीसी में भी सक्रिय रहे। अपने स्थानांतरण के लिए सचिवालय में आए कर्मचारियों के अपने-अपने तर्क थे। वे कागजों और आवेदन पत्रों के साथ आए थे।
बहुतों ने खुद की या परिवार के किसी सदस्य की बीमारी का हवाला देते हुए अपना तबादला गृह जिले में करने का आग्रह आवेदन में किया था, तो कुछ ऐसे भी थे जिनकी पत्नी या पति जिस शहर में नौकरीपेशा हैं, वहां के लिए तबादले की अर्जी लेकर आए। मंगलवार दोपहर जब ज्यादातर मंत्री अपने चैंबर में नहीं थे, लेकिन उनके इंतजार में कर्मचारी मंत्रालय भवन के बाहर बैठे थे। महिलाएं बड़ी तादाद में नजर आईं और इनमें से काफी के साथ तो बच्चे भी थे।
सभी की अर्जियां लीं
सुबह-सुबह से ही सिविल लाइंस स्थिति मंत्रियों के घरों पर भी कर्मचारियों की भीड़ रही। मुख्य तौर पर शिक्षा मंत्री, चिकित्सा मंत्री, सहकारिता एवं खाद्य मंत्री आदि के सरकारी आवासों पर दिन भर कर्मचारी आते-जाते रहे। मंत्रियों ने भी सभी को सुना और उनकी अर्जियां लेकर उनके तर्क सुने।
शिक्षा विभाग में भी कसरत शुरू
बीकानेरत्नप्रतिबंध हटने के साथ ही शिक्षा विभाग में तबादलों को लेकर कसरत शुरू हो गई है। राज्य सरकार को ऑनलाइन फार्म भरवाने के प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं। प्रतिबंधित जिलों में भी तबादलों को लेकर उम्मीद जताई जा रही है। यह मामला सीएमओ में लंबित बताया जा रहा है।
पहले नीति बने
अखिल राजस्थान विद्यालय शिक्षक संघ (अरस्तु) के प्रदेशाध्यक्ष रामकृष्ण अग्रवाल ने मुख्यमंत्री से मांग की कि शिक्षा विभाग में तबादला प्रक्रिया तब ही शुरू की जाए, जबकि नीति-निर्देश जारी हों। यदि ऐसा नहीं किया गया तो इसमें धांधली की आशंका बनी रहेगी।
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