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28 मई 2013

क्लीनिकल ट्रायल से प्रदेश में अब तक 95 मौतें, प्रदेश में बनी 15 एथिक्स कमेटी


 

 जयपुर। क्लीनिकल ट्रायल में हर महीने प्रदेश में एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। यह बात सुप्रीम कोर्ट में लगी एक जनहित याचिका के जवाब में राजस्थान सरकार ने मानी थी। राज्य सरकार ने बताया था कि वर्ष 2005 से 2012 के बीच 95 मरीजों ने ड्रग ट्रायल के दौरान जान गंवाई। पूरे देश में यह आंकड़ा 2644 का रहा। सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए केंद्र को इस मामले में तुरंत सुधार के निर्देश दिए थे।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर अब केंद्र सरकार की एजेंसी ने प्रदेश के 15 अस्पतालों की एथिक्स कमेटियों को ट्रायल की देखरेख के लिए ऑथोराइज्ड किया। इनमें से 14 अकेले जयपुर में ही हैं। एक अन्य अजमेर के अस्पताल की है। सभी कमेटियां ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) के अधीन रहेंगी व वक्त-वक्त पर रिपोर्ट सौंपेंगी। जानकारों के मुताबिक एथिक्स कमेटियां पहले भी होती थीं, लेकिन वे डीसीजीआई के तहत ऑथोराइज्ड नहीं होती थीं।
जयपुर में एकसाथ इतनी कमेटियां क्यों?
डीसीजीआई के डॉ. जीएन सिंह के मुताबिक जयपुर के अस्पतालों में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर लगातार विकास कर रहे हैं। कई बड़े निजी अस्पताल यहां खुल चुके हैं और भी कई खुलने हैं। यहां वे सारी सुविधाएं हैं, जो किसी दवा या क्लीनिकल प्रोसिजर के ट्रायल के लिए जरूरी होती हैं। हालांकि क्लीनिकल ट्रायल करने वाले सभी डॉक्टरों व अस्पतालों की मॉनिटरिंग डीसीजीआई करेगा और वह उनका कभी भी आकस्मिक निरीक्षण कर सकता है।
इन अस्पतालों की एथिक्स कमेटियों को मंजूरी 
1. एसएमएस मेडिकल कॉलेज एवं संबंधित अस्पताल।
2.  भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर।
3. थायराइड एंड एंडोक्राइन सेंटर। 4. फोर्टिस हॉस्पिटल।
5. एसआर कल्ला हॉस्पिटल। 6.  मोनीलेक हॉस्पिटल।
7. सीतादेवी हॉस्पिटल। 8. यादव मेंटल हॉस्पिटल।
9. महात्मा गांधी कॉलेज हॉस्पिटल। 10. सोमानी हॉस्पिटल।
11. स्वास्थ्य एथिक्स कमेटी गामा इमेजिंग, त्रिमूर्ति सर्किल।
12.  संतोकबा दुर्लभजी अस्पताल। 13. सोनी हॉस्पिटल।
14. हार्ट एंड जनरल हॉस्पिटल।

कमेटी को देनी होंगी ये जानकारियां
केंद्र सरकार के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार एथिक्स कमेटी की संपूर्ण जानकारी दी जाएगी। इसमें सदस्यों के नाम, मोबाइल नंबर व योग्यता सहित क्लीनिकल रिसर्च का प्रकार, हर साल की जाने वाली बैठक व मिनिट्स की कॉपी, ट्रायल के दौरान होने वाले साइड इफेक्ट्स, ट्रायल करने वाले डॉक्टर की मरीज का सहमति-पत्र, ट्रायल के दौरान मरीज की मौत होने पर 21 दिन के भीतर डीसीजीआई को रिपोर्ट भेजना, रिकॉर्ड की सॉफ्ट व हार्ड कॉपी का उपलब्ध रखना जरूरी होगा।
 

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