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27 मई 2013

नक्‍सलियों ने पार कीं क्रूरता की हदें, वीसी शुक्ल के शरीर में फैला जहर

 



नई दिल्ली। नक्सली हमले में घायल कांग्रेसी नेता विद्याचरण शुक्ल की हालत काफी गंभीर है। उनके शरीर में जहर फैल गया है और शरीर के कई अंदरूनी अंग टुकड़े-टुकड़े हो गए हैं। वहीं इस मामले में खुलासा हुआ है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के काफिले का रास्ता बदला गया था और सुरक्षा के मामले में चूक हुई है। छत्तीसगढ़ के अति नक्सल प्रभावित सुकमा जैसे इलाकों में सर्जिकल ऑपरेशन पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। शनिवार को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर जिस तरीके से हमला किया गया, उसके मद्देनजर सरकार नक्सलियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने पर विचार कर रही है। हालांकि रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने अभियान में सेना की मदद लेने से इनकार किया है। केंद्र सरकार ने हमले की जांच एनआईए को सौंप दी है।  छत्‍तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री रमन सिंह ने भी इसकी सहमति दे दी है। केंद्र सरकार ने रमन सिंह की सुरक्षा भी बढ़ा दी है। (आंध्र प्रदेश के इनामी मास्टर ट्रेनर ने किया था नक्सली हमले को लीड
 
दूसरी ओर, मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती कांग्रेसी नेता वीसी शुक्‍ल की हालत स्थिर है, लेकिन गंभीर बनी हुई है। डॉक्‍टर नरेश त्रेहान ने सोमवार को बताया कि उनकी सर्जरी सफलतापूर्वक कर दी गई लेकिन उनके जख्‍म गंभीर हैं। उन्‍हें फिलहाल वेंटीलेटर पर रखा गया और डायलिसिस किया जा रहा है। अभी वो आईसीयू में ही रहेंगे। उनकी अधिक उम्र के कारण उनके ठीक होने में थोड़ा वक्‍त लग सकता है। शुक्‍ल शनिवार के  में गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
 
इस हमले में नक्‍सलियों ने क्रूरता की हद पार कर दी थी। महेंद्र कर्मा की हत्‍या करने के बाद नक्‍सलियों ने उनके शव पर नाच किया और संगीनों से उनके शरीर को गोद कर अपना गुस्‍सा शांत किया। इतना ही नहीं, नक्‍सली कई शवों के अंग भी काट कर अपने साथ ले गए घटनास्‍थल पर कई शवों की आंखें गायब थीं।
कांग्रेस नेतृत्व को नई चुनौतियों की चिंता 
 
दिल्ली में जल्द ही पार्टी नेताओं की बैठक होगी। छत्तीसगढ़ को लेकर नए सिरे से रणनीति बनाई जाएगी। प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव भी पार्टी को करना होगा। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हमारे नेताओं की अभी मौत हुई है। हमें इस सदमे से उबरना है। निश्चित रूप से नई चुनौती के हिसाब से हमें अपनी रणनीति बनानी होगी। 
 
कांग्रेस के दिवंगत हुए दो नेता महेन्द्र कर्मा व नंदकुमार पटेल मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। कर्मा सलवा जुडूम के संस्थापक नेता थे। इसकी वजह से उनका अपनी पार्टी में भी एक धड़ा विरोध करता था लेकिन आदिवासी इलाकों में उनकी पकड़ के चलते पार्टी नेतृत्व ने उनका महत्व बनाए रखा। दूसरी ओर, नंदकुमार पटेल को आलाकमान काफी तवज्जो दे रहा था। पिछले दिनों राहुल गांधी के साथ बैठक में उन्हें जिम्मा दिया गया था कि वे प्रदेश में सभी नेताओं को एकजुट करें। पटेल ने काफी हद तक इस काम में सफलता भी हासिल की थी। केवल अजीत जोगी गुट को साधने में उन्हें दिक्कत हो रही थी। लेकिन पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने साफ कर दिया था कि पार्टी किसी भी नेता को मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट नहीं करेगी। 
 
परिवर्तन रैली कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की सहमति से ही शुरू हुई थी। पार्टी को बस्तर के उन इलाकों में अपना प्रभाव जमाने की चिंता थी जहां वे अरसे से नहीं जीते थे। बदली परिस्थिति में जोगी को भी पार्टी में ज्यादा तवज्जो देनी पड़ सकती है। आदिवासियों के बीच जोगी का खासा दखल है। 
 
नक्सलियों की जघन्य वारदात में नेताओं की मौत के बाद अब पार्टी एकजुट होकर अपने नेताओं की शहादत का मुद्दा लेकर लोगों के बीच जाएगी। माना जा रहा है कि अब पार्टी के लिए सहानुभूति सबसे बड़ा फैक्टर होगा। 
 

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