आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

09 मई 2013

हाई कोर्ट की अवमानना पर कई कद्दावर अफसर घंटों रहे हिरासत में




हाईकोर्ट के आदेशों को नजरअंदाज करने वाले उत्तर प्रदेश सरकार के कई कद्दावर अफसर 7 मई को उस समय पसीना- पसीना हो गए, जब उन्‍हें अवमानना का दोषी मानते हुए न्‍यायालय ने हिरासत में ले लिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट की अलग- अलग बेंचों ने प्रमुख सचिव (गृह) आरएम श्रीवास्‍तव, प्रमुख सचिव (स्टाप व निबंधन) बीएम मीना, ​फैजाबाद के ​अपर आयुक्त (प्रशासन) शैलेन्द्र कुमार सिंह समेत तमाम अधिकारियों को दिन भर हिरासत में रखा गया।
शाम चार बजे हाई कोर्ट ने इन अफसरों को बिना शर्त माफी मांगने और भविष्‍य में ऐसी गलती दोबारा नहीं करने के शपथ पत्र के साथ 10-10 हजार रुपये का जुर्माना अदा करने के बाद जाने दिया। हालांकि प्रमुख सचिव (गृह) पर हाई कोर्ट की तलवार अभी भी लटक रही है। अदालत ने उन्‍हें बिना शर्त माफी मांगे जाने ​के बाद ​मामले में अपना पक्ष रखने के लिए 8 मई को सुबह 10 बजकर 15 मिनट तक की मोहलत दी। ​
न्यायमूर्ति सतीश चन्द्रा ने मायावती सरकार में मंत्री रहे रामवीर ​​उपाध्याय की वाई श्रेणी सुरक्षा के मामले में न्यायालय के आदेश​ ​की अवमानना के कारण प्रमुख सचिव (गृह) आरएम श्रीवास्तव को ​हिरासत में लेने का आदेश दिया।​ दरअसल मामले में​ न्यायालय ने बसपा नेता को वाई ​​श्रेणी सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया था लेकिन राज्य​ ​सरकार ने उन्हें भुगतान के आधार पर सुरक्षा मुहैया कराई। ​न्यायालय ने इस पर कड़ी नाराजगी भी जताई।​
7 मई को दोपहर करीब एक बजे आरएम श्रीवास्‍तव को अदालत ने हिरासत में ले लिया गया। उनसे घंटे भर के अंदर जवाब देने के लिए कहा गया। इसके बाद आरएम श्रीवास्‍तव ने जो जवाब दिया जिस पर अदालत संतुष्‍ट नहीं हुई। शाम करीब 4 बजे आरएम ​​​​श्रीवास्तव को स्पष्टीकरण ​के साथ​ 8 मई की सुबह​ फिर तलब किया​ गया​।

पीठ ने सुनवाई के समय सरकारी अफसरों के रवै​ये​ पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि प्रत्येक अधिकारी को चार्ज लेते समय सुनिश्चित करना चाहिए कि अदालत से संबंधित कितने मामले चल रहे हैं। अधिकारी यह बहाना बनाकर बच नहीं सकते कि पूर्व अधिकारी की जिम्मेदारी थी। पहले पीठ ने सुबह ​11 बजे बीएम मीना को हिरासत में लेते हुए तीन दिन जेल की सजा सुना दी​ लेकिन बाद में उनकी तरफ से बिना शर्त माफी का हलफनामा लेकर याची को 10 हजार रुपये हर्जाना देने की बात पर छोड़ा गया। ​
उधर, ​न्यायमूर्ति अजय​ ​लां​​बा की अदालत ने​ ​एसके ​​सिंह को जेल भेजते​ ​हुए उनके मामले की अगली सुनवाई 10 मई तय की। याची के​ ​वकील फाकिर अली के अनुसार न्यायालय ने ​​अंबेडकरनगर जिले के​ ​अकबरपुर तहसीलदार को 23 अप्रैल 2012 को एक मामले के​ ​निपटारे के लिए 6 महीने का समय दिया था। तहसीलदार ने 6 ​​जुलाई की तारीख सुनवाई के लिए तय की थी।
इसी बीच कुछ​ ​लोगों ने अपर आयुक्त (प्रशासन) के न्यायालय में तहसीलदार के ​​आदेश के खिलाफ याचिका दायर कर दी। अपर आयुक्त ने तहसीलदार​ ​के आदेश पर स्थगनादेश दे दिया। अपर आयुक्त ने हाईकोर्ट में ​​न्यायालय के आदेश की जानकारी नहीं होने की बात कही लेकिन​ ​न्यायालय ने उनके आग्रह को ठुकरा दिया और उन्हें तीन दिन के ​लिए जेल भेजने का आदेश दे दिया।
शैलेन्द्र सिंह द्वारा बिना शर्त माफी मांगने पर​ ​न्यायालय ने वादी वि​​ष्‍णुदत्त तिवारी को 10 हजार रूपए का हर्जाना​ ​देने के आदेश दिए। साथ ही ​​वादी के खिलाफ उ​त्‍पीड़न ​​के मामले को​ ​तुरंत निस्तारित करने के आदेश दिए और याची की याचिका को भी ​​खारिज कर दिया।​

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...