तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे?
गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
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06 मई 2013
मौन रहकर भी
मौन रहकर भी मुखर जो हो रहा है, दर्द चेहरे से बयां वो हो रहा है ।
सोचा था जिऊँगा खुशहाल होकर , तनहा जीवन आज बोझिल हो रहा है ।
उम्र गुजरी सोचा नहीं मैंने कभी कुछ , जो नहीं सोचा वही सब हो रहा है ।
साथ थे मेरे हजारों हम सफ़र , आज क्यों सूना सा जीवन हो रहा है ?
मधुमास के दिन और रातें अब कहाँ , पतझड़ सा यौवन,उजड़ा सा आँगन हो रहा है ।
आंसू नहीं बहते मेरी आँख से अब , राजे दिल ,कौन फिर खोल रहा है ?
डॉ अ कीर्तिवर्धन 8 2 6 5 8 2 1 8 0 0
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दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)
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