अगर हम किसी भी बीमारी के इलाज की बात करें तो मौजूदा समय में विज्ञान
सिर्फ अपने आधार को ही सही मानता है। हो सकता है वह संगीत और योगा के
माध्यम से किसी भी बीमारी के इलाज की बात को नहीं माने लेकिन भारत के लोगों
का मानना है कि दवाओं के अलावा योगा और संगीत भी किसी भी बीमारी के इलाज
में अहम भूमिका निभाता है। यहां पर दवाओं के साथ.साथ योगा और संगीत को भी
अहम स्थानन दिया गया है। साथ ही लोग इलाज के लिए प्रार्थना पर भी विश्वास
रखते हैं। यही नहीं डॉक्टर भी आज कल इलाज के लिए एलोपैथी के साथ.साथ
आध्यात्मिक या संगीत थिरेपी की सलाह देते हैं।
फोर्टिस हॉस्पिटल के
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉण्अशोक सेठ कहते हैं कि संगीत थेरेपी हृदय रोग में
काफी प्रभावशाली पाया गया है। उनके मुताबिक तनाव में संगीत से काफी राहत
मिलती है। लेकिन यह रोजाना कि दिनचर्या मे संभव नहीं हो पाता है। साथ ही
डॉक्टर सेठ कहते हैं कि अपने व्यस्त समय के बावजूद भी वो संगीत के लिए कुछ
वक्त निकालते हैं जो कि उनकी आदत मे शामिल है।
डॉक्टरों की भी ऐसी
मान्यता है कि अध्यात्म और प्रार्थना से सुधार संभव है और वो इलाज के दौरान
लोगों को प्रार्थना करने के लिए भी कहते हैं। जब ऐसा लगता है कि आशाएं
धूमिल हो रही हैंए जब डर लगने लगता हैए जब सब कुछ अचानक अप्रत्याशित लगने
लगता है तब हम भगवान की ओर रुख करते हैं। डॉक्टबरों का मानना है कि
प्रार्थना करने से तनाव से मुक्ति मिलती है और लोगों में विश्वा स का संचार
होता है और इससे मरीजों में मजबूती आती है और यही कारण है कि इन दिनों कई
ऐसे बड़े अस्पताल हैं जहां प्रार्थना के लिए अलग कमरे बनाए गए हैं।
अगर हम किसी भी बीमारी के इलाज की बात करें तो मौजूदा समय में विज्ञान सिर्फ अपने आधार को ही सही मानता है। हो सकता है वह संगीत और योगा के माध्यम से किसी भी बीमारी के इलाज की बात को नहीं माने लेकिन भारत के लोगों का मानना है कि दवाओं के अलावा योगा और संगीत भी किसी भी बीमारी के इलाज में अहम भूमिका निभाता है। यहां पर दवाओं के साथ.साथ योगा और संगीत को भी अहम स्थानन दिया गया है। साथ ही लोग इलाज के लिए प्रार्थना पर भी विश्वास रखते हैं। यही नहीं डॉक्टर भी आज कल इलाज के लिए एलोपैथी के साथ.साथ आध्यात्मिक या संगीत थिरेपी की सलाह देते हैं।
फोर्टिस हॉस्पिटल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉण्अशोक सेठ कहते हैं कि संगीत थेरेपी हृदय रोग में काफी प्रभावशाली पाया गया है। उनके मुताबिक तनाव में संगीत से काफी राहत मिलती है। लेकिन यह रोजाना कि दिनचर्या मे संभव नहीं हो पाता है। साथ ही डॉक्टर सेठ कहते हैं कि अपने व्यस्त समय के बावजूद भी वो संगीत के लिए कुछ वक्त निकालते हैं जो कि उनकी आदत मे शामिल है।
डॉक्टरों की भी ऐसी मान्यता है कि अध्यात्म और प्रार्थना से सुधार संभव है और वो इलाज के दौरान लोगों को प्रार्थना करने के लिए भी कहते हैं। जब ऐसा लगता है कि आशाएं धूमिल हो रही हैंए जब डर लगने लगता हैए जब सब कुछ अचानक अप्रत्याशित लगने लगता है तब हम भगवान की ओर रुख करते हैं। डॉक्टबरों का मानना है कि प्रार्थना करने से तनाव से मुक्ति मिलती है और लोगों में विश्वा स का संचार होता है और इससे मरीजों में मजबूती आती है और यही कारण है कि इन दिनों कई ऐसे बड़े अस्पताल हैं जहां प्रार्थना के लिए अलग कमरे बनाए गए हैं।
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