आपका-अख्तर खान

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23 मई 2013

कुछ ऐसा क्या जाए के कोटा का वकील फिर और फिर जिंदाबाद जिंदाबाद हो जाये जिंदाबाद हो जाए ............

दोस्तों एक  की हेसियत से कोटा में निरंतर चार महीने से चल रही वकीलों की हड़ताल ने सभी वकीलों को तोड़ कर रख दिया है ...इतना ही नहीं वकील काफी हद तक अपनी वकालत के  भी भूल गए है राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक  गहलोत और कोटा के प्रभारी मंत्री अशोक बेरवा की संवेदन्शीलता से कोटा के वकीलों की हड़ताल  हुई है और कोटा के वकीलों की बल्ले बल्ले हो रही है ..सभी वकीलों ने आज से ही अपने दफ्तर की धुल झाडी है और फाइलें किताबों को फिर से देखना  शुरू कर दिया है पक्षकारों के चेहरे  रोनक है तो अदालतों में मजिस्ट्रेट जज फिर से ह्ल्कारों से आवाज़े दिलवाने लगे है .....पहली बार गेरकानुनी तरीके से कोटा न्यायालय का क्षेत्राधिकार रामगंजमंडी किया गया था जो फिर से कोटा में भेज दिया गया है ...इस हडताल से सरकार की हठधर्मिता के कारन वकीलों ने भी खोया है तो सरकार का भी नुकसान हुआ है ..वकीलों का रोज़गार गया मुकदमों की उम्र लम्बी हो गयी है आपस में वकीलों में अदावत हुई है कुछ वकीलों को गद्दार करार दिया गया है तो कुछ को निकाल गया है ...सही मायनों में अपने जमीर पर हाथ रख कर खुद को टटोलने पर खुद वकील इस हड़ताल के समर्थन को लेकर लाजवाब सा हो जाएगा कुछ लोग थे जो धुप में बैठते थे नारे लगते थे रेली निकालते थे सरकार से सीधी टक्कर लेते थे कुछ लोग थे जो वकीलों के कल्याण की राशी से चल रहे पंखों में बेथ कर वाटर कूलर का ठंडा पानी पीते थे और आंदोलन करी वकीलों का मजाक उढ़ा क्र उन पर फब्तियां कसते थे अफवाहों का बाज़ार गर्म रहता था .....वकील तो हड़ताल पर थे लेकिन कुछ वकील चेहरे छुपा कर रामगंजमंडी  पेरवी करते थे तो कुछ खुलें हड़ताल में नोटेरी करते देखे जाते थे .हद तो तब हुई के कुछ वकीलों ने अलग से बैठक कर दो फाड़ की खबर अख़बार में छपवा दी लेकिन खुदा का शुक्र है कोटा की अभिभाषक परिषद अटूट रही जिंदाबाद रही और सभी कोशिशों के बावजूद भी वकील साथी हडताल मामले में एक जुट रहे अदालते चीखती रही वकील अदालत नहीं गए ..अदालतों ने और सत्ता में बेठे कुछ नेताओं ने वकीलों को दो फाड़ करने का प्रयास क्या लेकिन उनकी साऱी  सत्ताधारी  बेकार बेमानी रही ..वकील थका तो सही लेकिन हार नहीं रोज़ हिम्मत से अदालत आता बिना कुछ कमाए भूखे पेट नारे लगाकर जाता और जिंदाबाद हो जाता ......अफवाहे वाले अफवाहे फेलाते थे काम करने वाले काम करते थे आन्दोलन को मजबूत करने के लियें बैठकें करते थे योजना बनाते थे .....कोटा के सांसद इजय्राज सिंह इस आन्दोलन में वकीलों के लियें एक सच्चे दोस्त बनकर उभरे तो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा सिंधिया ..ओम बिरला ..भवानी सिंह राजावत ..प्रहलाद गुंजल भविष्य की उम्मीद बने है .अदालत परिसर में एक करोड़ के विकास कार्य होना है यहाँ परिसर  की समस्या का समाधान के लियें सोहार्द पूर्ण वातावरण में योजनायें बनाना है ....अदालतों में रिपोर्ट के नाम पर .नकलों में पत्रावलियां भेजने के नाम पर ....तामिल करवाने ..वारंट जरी करवाने के नाम पर तहरीर बनवाने के नाम पर जो गड़बड़ियां है उन्हें भी ठीक करना है .अदालतों में जज मजिस्ट्रेटों की कमी है उन्हें भी वार्ता से खाली कोर्टों को भरवा कर कार्य सुचारू करना है .हड़ताल में जो  सद्भावना को ठेस पहुंची है उसे फिर से एक दुसरे वकील भाई के गले मिल एकजुटता का माहोल करना है .कार्य गुणवत्ता दिखा आकर फिर से कोटा की वकालत और कोटा के वकीलों की विद्धता को जिंदाबाद करना है ...........राष्ट्रिय स्तर की कानून विदों की एक सेमीनार करना है और वर्षों से लम्बित पढ़े मुकदमों के पहिये लगाकर उन्हें जल्दी निस्तारित करने के फार्मूले तलाश कर मामलों का त्वरित निस्तारण का प्रयास करना है ..एक उम्मीद ..एक आकर्षण कोटा के वकीलों के लियें फिर से प्रतीक्षा कर रहा है और फिर से एक सोच बनी है के कुछ ऐसा क्या जाए के कोटा का वकील फिर और फिर जिंदाबाद जिंदाबाद हो जाये जिंदाबाद हो जाए ...............अख्तर  अकेला कोटा राजस्थान

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