आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

02 मई 2013

सुबह तो हुई मित्रों, पर कैसे कहूँ मैं सुप्रभात-

सुबह तो हुई मित्रों, पर कैसे कहूँ मैं सुप्रभात-
'एक तरफ चीन की हरकत,दूसरी तरफ पाक-नापाक ,
देश में दरिंदगी का आलम, दूजी और नाकाम सरकार ,
कैसे कहूँ मैं सुप्रभात,
सम्भावनाओं की उदित किरणें संध्या मायूस हो जाती हैं.
सुबह जगी जो आस, वह सूर्यास्त तक बुझ जाती है ..!
मित्रों कैसे कहूँ आज सुप्रभात..

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...