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02 मई 2013

तिहाड़ में आराम की रोटी तोड़ रहे 11 पाकिस्तानी आतंकी



नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। सुबह जगते ही ब्रेड के साथ चाय। फिर 11 बजते ही खाने की थाली हाजिर। मन किया तो वार्ड से निकलकर टहल लिया वरना खाना खाने के बाद सेल में खर्राटे लेने चले गए। दोपहर में चाय लेने के बाद पाकिस्तानी कैदियों के साथ गप शप व सूर्य के ओझल होते ही खाना खाकर बेड पकड़ लिया। यह दिनचर्या किसी रईस के नहीं। बल्कि तिहाड़ जेल में बंद 11 आतंकवादियों की है। पाकिस्तान की लखपत जेल में भले ही सरबजीत की पिट पिटकर हत्या कर दी गई। लेकिन ये पाकिस्तानी आतंकवादी आराम की रोटी तोड़ रहे हैं।

सर्वजीत की मौत के बाद तिहाड़ जेल के कैदियों में भी पाकिस्तान के प्रति गुस्सा है। उन्हें पाकिस्तानी कैदियों से मिलने पर रोक लगा दी गई है। तिहाड़ में फिलहाल 20 पाकिस्तानी हैं। जिसमें 11 आतंकवादी हैं। इसके अलावा पाकिस्तानी राजधानी दिल्ली में चरस, अफीम, हेरोइन, गांजा जैसे नशीला पदार्थ भी पहुंचा रहे हैं। यही वजह है कि नौ कैदी एनडीपीएस एक्ट में बंद है। जेल सूत्रों के अनुसार एनडीपीएस एक्ट में बंद पाकिस्तानियों को सामान्य कैदियों के साथ जनरल वार्ड में रखा जाता था। तिहाड़ के कैदियों में गुस्से को देखते हुए इनकी सुरक्षा चौकस कर दी गई है। इन्हें जनरल वार्ड के बैरख से हटाकर अलग सेल में रख दिया गया है। जबकि 11 आतंकवादियों को अलग-अलग जेलों के हाई सिक्यूरिटी वार्ड में रखा गया है। वार्ड के बाहर तमिलनाडु पुलिस के जवानों का पहरा है। सीसीटीवी से भी निगरानी रखी जा रही है।

पाकिस्तानी आतंकवादियों को सुबह करीब 5.30 बजे जगते ही नमाज अता करने के बाद करीब सात बजे तक चाय व दो ब्रेड नास्ते में मिल जाता है। सुबह 11 बजे दाल, रोटी, सब्जी व चावल की थाली खाने को मिलती है। इन्हें खाना लेने भी जाना नहीं पड़ता। खाना वार्ड में पहुंचाया जाता है। दोपहर में तीन बजे चाय व शाम 6.30 बजे फिर खाना मिल जाता है। सब कुछ टाइम पर होता है। इसके अलावा वे जिस जेल में बंद होते हैं, उस जेल में दूसरे पाकिस्तानी कैदियों से मिलने भी दिया जाता है। भारतीय कैदियों से भी बातचीत करते हैं। जेल सूत्रों के अनुसार सरबजीत की हत्या से पाकिस्तानी कैदी सहमे हुए हैं। फिलहाल वे वार्ड से बाहर नहीं निकल रहे।

आतंकवादियों से नहीं लिया जाता काम

यहां बंद पाकिस्तानी आतंकवादियों में मोहम्मद हीदर, मोहम्मद हनीफ, मोहम्मद जावेद, अमजद अली हैं। ये दस साल से लेकर आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। सुरक्षा कारणों से इन्हें जेल में काम नहीं करना पड़ता। तबियत बिगड़ने पर इलाज भी मुफ्त में हो जाती है। डाक्टर इन के वार्ड तक चलकर जाता है। लाल किला कांड का दोषी मोहम्मद आरिफ को फांसी की सजा हुई है। जो इन दिनों तिहाड़ का खास मेहमान है।

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