पाँच वर्ष पहले यह कविता लिखी थी |क्या कुछ बदला है इन पाच सालों में-
इंसान नहीं था
मुझे इतनी जोर से प्यार मत करो अंकल
देखो तो,मेरे होंठो से निकल आया है खून
मेरे पापा धीरे से चूमते हैं सिर्फ माथा
मुझे मत मारो अंकल ..दुखता है
मैं आपकी बेटी से भी छोटी हूँ
क्या उसे भी मारते हो इसी तरह
मेरे कपड़े मत उतारो अंकल
अभी नवरात्रि में
चूनर ओढ़ाकर पूजा था न तुमने
तुम्हें क्या चाहिए अंकल
ले लो मेरी चेन घड़ी,टाप्स,पायल
और चाहिए तो ला दूंगी अपनी गुल्लक
उसमें ढेर सारे रूपये हैं
बचाया था अपनी गुड़िया की शादी के लिए
सब दे दूंगी तुम्हें
अंकल-अंकल ये मत करो
माँ कहती है -ये बुरा काम होता है
भगवान जी तुम्हें पाप दे देंगे
छोड़ो मुझे,वरना भगवान जी को बुलाऊंगी
टीचर कहती हैं -भगवान बच्चों की बात सुनते हैं
...अब बच्ची लगातार चीख रही थी
पर भगवान तो क्या,दूर-दूर तक
कोई इंसान भी न था .
पाँच वर्ष पहले यह कविता लिखी थी |क्या कुछ बदला है इन पाच सालों में-
इंसान नहीं था
मुझे इतनी जोर से प्यार मत करो अंकल
देखो तो,मेरे होंठो से निकल आया है खून
मेरे पापा धीरे से चूमते हैं सिर्फ माथा
मुझे मत मारो अंकल ..दुखता है
मैं आपकी बेटी से भी छोटी हूँ
क्या उसे भी मारते हो इसी तरह
मेरे कपड़े मत उतारो अंकल
अभी नवरात्रि में
चूनर ओढ़ाकर पूजा था न तुमने
तुम्हें क्या चाहिए अंकल
ले लो मेरी चेन घड़ी,टाप्स,पायल
और चाहिए तो ला दूंगी अपनी गुल्लक
उसमें ढेर सारे रूपये हैं
बचाया था अपनी गुड़िया की शादी के लिए
सब दे दूंगी तुम्हें
अंकल-अंकल ये मत करो
माँ कहती है -ये बुरा काम होता है
भगवान जी तुम्हें पाप दे देंगे
छोड़ो मुझे,वरना भगवान जी को बुलाऊंगी
टीचर कहती हैं -भगवान बच्चों की बात सुनते हैं
...अब बच्ची लगातार चीख रही थी
पर भगवान तो क्या,दूर-दूर तक
कोई इंसान भी न था .
इंसान नहीं था
मुझे इतनी जोर से प्यार मत करो अंकल
देखो तो,मेरे होंठो से निकल आया है खून
मेरे पापा धीरे से चूमते हैं सिर्फ माथा
मुझे मत मारो अंकल ..दुखता है
मैं आपकी बेटी से भी छोटी हूँ
क्या उसे भी मारते हो इसी तरह
मेरे कपड़े मत उतारो अंकल
अभी नवरात्रि में
चूनर ओढ़ाकर पूजा था न तुमने
तुम्हें क्या चाहिए अंकल
ले लो मेरी चेन घड़ी,टाप्स,पायल
और चाहिए तो ला दूंगी अपनी गुल्लक
उसमें ढेर सारे रूपये हैं
बचाया था अपनी गुड़िया की शादी के लिए
सब दे दूंगी तुम्हें
अंकल-अंकल ये मत करो
माँ कहती है -ये बुरा काम होता है
भगवान जी तुम्हें पाप दे देंगे
छोड़ो मुझे,वरना भगवान जी को बुलाऊंगी
टीचर कहती हैं -भगवान बच्चों की बात सुनते हैं
...अब बच्ची लगातार चीख रही थी
पर भगवान तो क्या,दूर-दूर तक
कोई इंसान भी न था .
इस दृश्य की कल्पना ही किसीको भी रुला डालेगी ।
जवाब देंहटाएंरोंगटे खड़े कर दिए इस कविता ने ..
जवाब देंहटाएंकुछ भी कहने में असमर्थ
जवाब देंहटाएं:-|
जवाब देंहटाएंkuch kah nhi sakta..lekin ye poem me ek-do jagah share karna chahta (haan, obviously aapke hi nam se) agar izajat de to