आपका-अख्तर खान

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25 अप्रैल 2013

चंडालनी सी या लगी थी हूर जिन्दगी .

चंडालनी सी या
लगी थी हूर जिन्दगी .
झक धुप में मिली
हमें बेनूर जिन्दगी .

थी पस्त कभी मस्त
नशे में मिली वो चूर
किस्मत से देखो
मिल गयी मशहूर जिन्दगी .

सड़कों पे बिखरी आग
से घर जल गया मेरा
संसद में बहस थी
बड़ी ये क्रूर जिन्दगी .

मुर्गे ने बहस की
तो मुर्गी भी चुप कहाँ -
चखचख में देखो कट गयी
मगरूर जिन्दगी .

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