इस समय जहाँ देखो देश में मारा मारी तो है
यह कुछ भी नहीं जनता की ही लाचारी तो है
दाल आटा सभी कुछ तो महंगा है इस देश में
फिर भी संतुष्ट चलो आलू की तरकारी तो है
ऐसे नहीं होते सरे राह बलात्कार व् अत्याचार
इसमें कहीं न कहीं सरकारी कारगुज़ारी तो है
परेशां बाप बेटी का दे हाथ वकील के हाथ में
चलो ख़ुदा का शुक्र वह वकील सरकारी तो है
अब्बूजान की दनादन होती शादियॊ को देख
बेटा बोला चलो मयभा ही सही महतारी तो है
इस समय जहाँ देखो देश में मारा मारी तो है
यह कुछ भी नहीं जनता की ही लाचारी तो है
दाल आटा सभी कुछ तो महंगा है इस देश में
फिर भी संतुष्ट चलो आलू की तरकारी तो है
ऐसे नहीं होते सरे राह बलात्कार व् अत्याचार
इसमें कहीं न कहीं सरकारी कारगुज़ारी तो है
परेशां बाप बेटी का दे हाथ वकील के हाथ में
चलो ख़ुदा का शुक्र वह वकील सरकारी तो है
अब्बूजान की दनादन होती शादियॊ को देख
बेटा बोला चलो मयभा ही सही महतारी तो है
यह कुछ भी नहीं जनता की ही लाचारी तो है
दाल आटा सभी कुछ तो महंगा है इस देश में
फिर भी संतुष्ट चलो आलू की तरकारी तो है
ऐसे नहीं होते सरे राह बलात्कार व् अत्याचार
इसमें कहीं न कहीं सरकारी कारगुज़ारी तो है
परेशां बाप बेटी का दे हाथ वकील के हाथ में
चलो ख़ुदा का शुक्र वह वकील सरकारी तो है
अब्बूजान की दनादन होती शादियॊ को देख
बेटा बोला चलो मयभा ही सही महतारी तो है
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