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09 अप्रैल 2013

अगले पांच साल में देश में जजों की संख्या दोगुनी


law-manmohan-adaalatप्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जजों की संख्या बढ़ाने की वकालत करते हुए राज्यों के मुख्यमंत्रियों और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन में कहा है कि 10 लाख लोगों पर 15.5 जजों का होना पर्याप्त नहीं है. लोगों को न्याय दिलाने के लिए जजों की संख्या बढ़ाने की ज़रूरत है.
उन्होंने कानूनों के आम लोगों पर होने वाले असर पर भी बात की. मनमोहन सिंह का कहना था कि ये सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि जो क़ानून लोगों की रोज़मर्रा के जीवन पर असर डालते हैं वो तार्किक और स्थाई होने चाहिए.
प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों को संबोधित करते हुए ये भी कहा कि सरकारों को मानवाधिकारों की इज़्जत और रक्षा करनी चाहिए.
इस सम्मेलन में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, कानून सचिव, सुप्रीम कोर्ट के सभी जज और 24 हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीशों को आमंत्रित किया गया है. पिछली बार ऐसा सम्मेलन 2009 में हुआ था.
इस सम्मेलन में लंबित मुकदमों का बोझ कम करने के लिए अगले पांच साल में देश में जजों की संख्या दोगुनी किये जाने का फैसला 7 अप्रैल को लिया गया।
वर्तमान में जजों की संख्या 18,871 है। इसे बढ़ाकर करीब 37,000 किया जाएगा। ग्राम न्यायालयों की संख्या भी बढ़ाकर इस साल के अंत तक 600 से अधिक की जाएगी। फिलहाल देश में 172 ग्राम अदालतें हैं। जजों की संख्या दोगुनी करने से आबादी और जजों का अनुपात कुछ हद तक ठीक हो जाएगा। अभी प्रति दस लाख की आबादी पर औसतन 15.47 जज हैं। संख्या बढऩे के बाद ये इतनी ही आबादी पर 30 हो जाएंगे।

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