आपका-अख्तर खान

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17 अप्रैल 2013

सुरसा जैसा मुंह फैलाये, राह में बैठी मंहगाई !

सुरसा जैसा मुंह फैलाये, राह में बैठी मंहगाई !

चमचे ही अब चाट रहे है, लोकतंत्र की दूध मलाई !!

नोटों का बण्डल पड़ता, अब डिग्री पर भारी है !

गरीब ग्रेजुएट पीछे रहता, यह उसकी लाचारी है !!

थर्ड क्लास को नौकरी मिलती, फर्स्ट क्लास बेकार जनाव !

देख दशा इस लोकतंत्र की, आँख से बहती धार जनाव !!

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