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17 अप्रैल 2013

ए दुश्मन तूँ काश्मीर के चक्कर में,लाशें गिनता रह जायेगा..

ए दुश्मन तूँ काश्मीर के चक्कर में,लाशें गिनता रह जायेगा..

दुश्मन को जाकर देहला दे,और उसे बतला देना.
हिन्द देश वीरों की भूमि,यह उसको जतला देना..
जब हम धरते हैं रूप विकट,तो मौत भी थर्रा जाये.
इतिहास हमारे वीरों का,सारी दुनियां के मन भाये..
कायरता का कृत्य किया,तूँ बार पीठ पर करता है.
हिम्मत है तो सामने आ,क्योँ बिल से हुंकारें भरता है..
तूँ किस खेत की मुली पाकिस्तान,तुझे सबक पुनः सिखलाएंगे.
एक बार फिर इतिहास ७१ का,इस दुनियां में दोहराएंगे..
तूँ मान नहीं तो मनवा लेंगे,तुझको जिंदा दफना देंगें.
तूँ पैर हटा एल ओ सी से,नहीं पैर तेरा कटवा देंगे..
हम हैं उदार कायर न समझ,हम संतो की संतानें है.
मातृभूमि पर मरने वाले,हम मौत के वो परवाने हैं..
खून का बदला खून से लेंगे,इतिहास लहू से लिख देंगें.
तूने काटा है एक शीश,बदले में हम सौ- सौ लेंगे..
हे नादान संभल नहीं तो,करनी पर पछतायेगा.
काश्मीर के चक्कर में,लाशें गिनता रह जायेगा..

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