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24 अप्रैल 2013

राजनीतिक खुफियागीरी तक सिमटा इंटेलीजेंस पुलिस का काम : डीजीपी


 

जयपुर.राज्य सरकार और पुलिस मुख्यालय के बीच चल रही असहजता बुधवार को इंटेलीजेंस प्रशिक्षण अकादमी के शिलान्यास समारोह के दौरान सामने आ गई। प्रदेश के डीजीपी हरिश्चंद्र मीना ने कहा कि प्रदेश में फिलहाल इंटेलीजेंस पुलिस का काम सिर्फ राजनीतिक खुफियागीरी तक सिमट कर रह गया है तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने भाषण में जवाब दिया कि पुलिस वाले राजनेताओं की सिफारिशें लेकर घूमना बंद करें। दोनों के भाषणों की कुछ लाइनें पुलिस के जवानों और अधिकारियों में दिन भर चर्चा का विषय रहीं।
 
डीजीपी का सवाल..
 
अमेरिका के बोस्टन में हमला हुआ तो इंटेलीजेंस ने तीन दिन में ही आतंकवादियों को धर दबोचा। हमारी खुफिया पुलिस में भी  ऐसी दक्षता आ सकती है, बशर्ते उसे भी वैसी ही सुविधाएं मिलें।
 
..और मतलब ये है
 
आतंकवादी घटनाओं में इंटेलीजेंस विंग के फेल होने की की असली वजह है, राजनीतिक इस्तेमाल। इसलिए बार-बार पुलिस पर उंगली उठाने की बजाय सत्ता में बैठे जिम्मेदार लोग राजनीतिक का बेजा इस्तेमाल करना बंद करें।
 
सीएम का जवाब..
 
इंटेलीजेंस का अलग कैडर बन रहा है। उसके बाद पुलिसकर्मी पॉलिटिकल सिफारिशें लेकर घूमना तो बंद कर देंगे। अधिकांश डीजीपी ने छाप छोड़ी है। यह परंपरा आगे बढ़े। जो मांगा, हमने दिया है, अब करके आपको दिखाना है। 
..और मतलब ये है
 
पुलिस प्रदेश में अपनी काबिलियत से दिखाए। पुराने पुलिस महानिदेशकों की तारीफ का मतलब मौजूदा डीजीपी को उनसे बेहतर काम की बड़ी लाइन खींचने की नसीहत दी गई है। यह भी कहा कि जो मांगा वह दिया जा रहा है, तो रिजल्ट दिखाइए।
 
उधर सीएम बोले-पुलिसवाले राजनीतिक सिफारिशें लेकर न घूमें
 
होता ये है..
 
>चुनावी साल में इंटेलीजेंस सत्तारूढ़ पार्टी के हथियार की तरह इस्तेमाल होती है।
 
>हर पार्टी ऑफिस और प्रमुख नेताओं के इर्द-गिर्द पुलिस तैनात रहती है। ये छोटी-बड़ी गतिविधियों और मेल मुलाकातों की रिपोर्ट खुफिया विंग के मुखिया के जरिए सरकार के मुखिया तक पहुंचती हैं। यही काम केंद्रीय एजेंसी भी करती है।
 
>सरकार बागी नेताओं और प्रमुख विपक्षी नेताओं की इंटेलिजेंस कराती है।
 
भाजपा शासन में ऐसा हो चुका है
 
पहले भाजपा नेता घनश्याम तिवाड़ी के घर पर इंटेलीजेंस के जवानों की ओर से जासूसी करने के मामले ने खूब तूल पकड़ा था। अभी पिछले दिनों भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति में भी जासूसी का मुद्दा उठा था। तब इंटेलीजेंस प्रभारी को एपीओ भी किया गया।
 
ऐसा करना गलत है : मीणा
 
पूर्व डीजी रामजीवन मीणा ने कहा कि इंटेलीजेंस में एक विंग स्थानीय राजनीतिक गतिविधियों पर नजर रखने के लिए होती है। यह विंग पॉलिटिकल सर्वे, पार्टी हित के फीडबैक आदि जुटाती है। ऐसा करना ठीक नहीं है। शेखावत सरकार के जमाने तक इस महकमे में अच्छे और महत्वपूर्ण लोगों को लगाया जाता था, लेकिन बाद में दुरुपयोग बढ़ गया। 
 
 
सीएम ने की ये घोषणाएं
 
: स्टेट इंटेलीजेंस के जवानों का विशेष भत्ता 15 फीसदी बढ़ेगा। राज्य विशेष शाखा को 9 नए वाहन। प्रशासनिक भवन और हॉस्टल के लिए 10.63 करोड़ रु. और 67 नए पद । 30 हजार पुलिसकर्मियों की भर्ती। इसमें 9 हजार भर्ती, 10 हजार की प्रक्रिया जारी। अगले महीने 12 हजार पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी। : दो माह में सभी 10 हजार ग्राम पंचायतों में ग्राम रक्षकों की नियुक्ति होगी।

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