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27 अप्रैल 2013

सरबजीत ने चिट्ठी में बताया था जान का खतरा....


पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में बंद भारतीय कैदी सरबजीत सिंह ने करीब तीन साल पहले ही अपने साथी कैदियों के बुरे व्यवहार के बारे में बताया था। लेकिन इसके बावजूद जेल प्रशासन ने उसकी सुरक्षा पर कोई कदम नहीं उठाए।
 
उसने अपने वकील अवैस शेख को इस संबंध में एक मार्मिक चिट्ठी लिखी। पत्र में उसने अपनी आपबीती बयां की थी। उसने लिखा था कि पाकिस्तान के सरकारी संस्थान (पुलिस और कोर्ट) उसे सरबजीत सिंह से मंजीत सिंह बनाने पर तुले हुए थे, जबकि वह खुद मंजीत सिंह के बारे में नहीं जानता था और उसने पाकिस्तान में क्या किया था, इसका भी इल्म उसे नहीं था। 
 
उसने लिखा था, "जेल का स्टाफ और पुलिस और यहां तक कि जेल में बंद कैदी भी मुझे हिकारत भरी नजरों से देखते थे। वे मुझे धमाके करने वाला मानते थे।" सरबजीत ने पाकिस्तानी वकील अवैस शेख का धन्यवाद देते हुए लिखा कि उन्होंने असली मंजीत सिंह को ढूंढ निकाला था। जब सरबजीत को पकड़कर मंजीत सिंह बनाया तो उस वक्त असली मंजीत सिंह इंग्लैंड और कनाडा की सैर कर रहा था। लेकिन बाद में वह पकड़ा गया। 
   
उसने लिखा, "पाकिस्तान में गलती से दाखिल हो गया था। लेकिन मुझे लगता था कि मैं जल्द ही छूट जाऊंगा। मैंने कोई जुर्म नहीं किया था, सिर्फ बॉर्डर ही तो पार किया था। पाकिस्तान के कानून बनाने वालों ने मुझे मंजीत सिंह बना कर पेश किया गया।" सरबजीत ने अपनी चिट्ठी में पाकिस्तानी न्यायिक प्रणाली पर आरोप लगाए हैं। उसने लिखा कि अदालत ने उसकी बात पर जरा भी गौर नहीं किया और न ही सफाई देने का मौका दिया। सिर्फ सजा दे दी गई। सजा-ए-मौत।
 
उसने पाकिस्तान की फेडरल इनवेस्टिगेटिव यूनिट (एफआईयू) के बारे में बताया कि यह भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा करती है। इसके अलावा पंजाब के भोले-भाले नौजवानों को गुमराह करना और सीमा पार आंतक फैलना उसका काम है।

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