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25 मार्च 2013

'कटारिया जैसे असहाय को मैं उसका नाम क्यों बताऊं जिसने मेरे खिलाफ षड्यंत्र रचा'


जयपुर.भाजपा के नाराज नेता घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि वे उस नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को पार्टी के उस षड्यंत्रकारी व्यक्ति का नाम नहीं बताएंगे, जिसने उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा, क्योंकि कटारिया तो खुद ही असहाय हैं। वे अपनी रक्षा में पार्टी के उन लोगों के खिलाफ कुछ नहीं कर पाए, जिन्होंने उन पर झूठे आरोप लगाए और नाहक बदनाम किया।
 
तिवाड़ी ने एलान किया है कि वे देवदर्शन यात्रा में ऐसे लोगों के खिलाफ अलख जगाएंगे, जिन्होंने विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश की प्राकृतिक संपदा को लूटने की तैयारियां कर ली हैं। उन्होंने कहा : मैं राजस्थान को लुटेरों का चरागाह नहीं बनने दूंगा। तिवाड़ी भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति में भले नहीं गए हों, लेकिन उन्होंने भास्कर से खुलकर बातचीत की। पढ़िए बात-बेबाक : 
 
क्या आप प्रतिपक्ष के उपनेता हैं?  
 
मैंने तो पद छोड़ दिया। कटारिया अब स्वतंत्र हैं। किसी को भी बनाएं।  
 
देवदर्शन यात्रा क्या वसुंधरा राजे की सुराज संकल्प यात्रा के समानांतर नहीं है? 
 
मैंने डेढ़ वर्ष पहले घोषणा कर दी थी। मेरी यात्रा लोकजीवन में शुचिता के लिए है। यह राजनीतिक नहीं, लेकिन इससे राजनीति जरूर प्रभावित होगी।
 
भाजपा का वह नेता कौन है, जिसने आपके खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस करवाई? 
 
राष्ट्रीय नेतृत्व को नाम बता दिया है। मुझे कहा गया है, जांच करके कार्रवाई करेंगे। अब मेरा कर्तव्य है कि मैं इंतजार करूं। . . . ये औरों का दोष नहीं, यह किस्सा है अपनों का ही! यह वही था, जिसे मेरी प्रतिष्ठा कम करने से लाभ हो सकता था।  
 
आपने विधानसभा में जांच की मांग क्यों की? 
 
यह षड्यंत्र मेरे पूरे परिवार के खिलाफ था। एक लाक्षागृह तैयार करके मेरे पूरे परिवार को दग्ध करने का कुत्सित प्रयत्न था। जिन्होंने ऐसा किया, उन्हें ये मालूम नहीं कि दुर्बुद्धि दुयरेधन के शिविर में कोई विदुर भी होता है, जिसके भेजे खनिक लाक्षागृह में एक सुरंग भी बना देते हैं। . . . मैंने तय किया है कि यह लड़ाई मैं खुद लडूंगा! 
 
इस लाक्षागृह के कौरव कौन और पांडव कौन हैं? 
 
जो कम हैं, वे पांडव और जो ज्यादा हैं, वे कौरव!  
 
गंगाजल किस-किसने उठाया था?  
 
मैं तो गंगा-स्नान कर आया। मैं अब ऐसे लोगों को याद नहीं करना चाहता। मैं मित्रद्रोही नहीं हूं! मैं पातकी नहीं!  
कटारिया ने नेता प्रतिपक्ष बनना स्वीकार कर लिया और आपको अकेले छोड़ दिया।रास्ता साफ था, साथ चलते रहे, मोड़ आया तो मुंह मोड़ चले!  
 
कटारिया ने कहा कि वसुंधरा के समर्थन में जैसा जनसमूह उमड़ा, वैसा कभी नहीं देखा? 
 
मैंने आडवाणी की रथ यात्रा की भीड़ देखी है, वाजपेयी को सुनने के लिए लाखों लोगों को घंटों इंतजार करते देखा है। कटारिया ज्यादातर उदयपुर रहे हैं। हो सकता है, उन्होंने जयपुर में ऐसी भीड़ पहली बार देखी हो!  
 
वसुंधरा को प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने का असर?  
 
वसुंधरा राजे को आलाकमान ने प्रदेशाध्यक्ष बनाया है। यह पार्टी का लोकतांत्रिक अधिकार है। . . .मैं चाहता हूं कि पार्टियों के आंतरिक लोकतंत्र की निगरानी चुनाव आयोग करे। उम्मीदवार चयन भी निष्पक्ष हो।
  
सियासी गलियारों में माना जाता है कि आप अशोक गहलोत के प्रति भरपूर सहानुभूति रखते हैं?
  
नेता प्रतिपक्ष की गैरमौजूदगी में मैंने सदन में जितना प्रजातांत्रिक रूप से सत्तापक्ष और मुख्यमंत्री पर प्रहार किया, वैसा किसी ने नहीं किया। गहलोत प्रशासनिक रूप से पूरी तरह विफल रहे हैं। वे कोई छाप नहीं छोड़ पाए। एक मैं ही था, जिसने जलमहल के भ्रष्टाचार मामले में उनसे श्वेत पत्र जारी करने की मांग की और वे नहीं कर पाए। जल महल की सच्चाई सामने लाते। अधिकारियों को दंडित करने के बजाय असली अपराधी सामने आने चाहिए। फिर भले वह मुख्यमंत्री ही क्यों न हो। यह भी स्पष्ट होना चाहिए कि इस मामले में मुख्यमंत्री की भूमिका कहां तक है।  
आपकी मांग वर्तमान मुख्यमंत्री के लिए है, या पूर्व मुख्यमंत्री के लिए?  
 
जलमहल जैसे प्राकृतिक संसाधनों की लूट जिस किसी भी व्यक्ति ने की है, उसे सामने लाया जाए। दोषी चाहे कोई भी हो, भले ही वह मुख्यमंत्री पद पर रहा व्यक्ति ही क्यों न हो! जब से जलमहल की प्रक्रिया शुरू हुई, उस दिन से जांच हो।  
 
आपने कहा था कि दिल्ली में तो कोई सुनता नहीं है?  
 
जिस तरह प्रदेशाध्यक्ष का निर्णय हुआ, उससे लगा कि यह केंद्र का एकतरफा फैसला था। उससे ऐसा लगता है कि पार्टी में पदों की लड़ाई चल रही थी। एक अध्यक्ष और दूसरा नेता प्रतिपक्ष बन गया। इससे संदेश ये गया कि पदों के हिसाब से एडजस्टमेंट किया गया है, सिद्धांतों का खयाल नहीं रहा।  
 
वसुंधरा राजे ने सभी नाराज नेताओं से मुलाकात की। आपसे उनकी मुलाकात क्यों नहीं हुई? आपकी आखिरी मुलाकात कब हुई?  
 
वसुंधरा राजे से अगर किसी की पुरानी मुलाकातें हैं तो मेरी ही हैं। अभी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के समय उनसे चार घंटे मुलाकात हुई थी। खूब बातें हुईं।  
 
आप देवदर्शन यात्रा में लोगों को क्या संदेश देंगे?  
 
जहां-जहां सरस्वती नदी बहती थी, वहां-वहां नए ऑयल फील्ड, गैस और दूसरे खनिज सामने आए हैं। इससे आने वाला विधानसभा चुनाव बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। अब जिस किसी के भी सत्ता में आने की संभावना है, उन सबसे ऐसे लोग संपर्क कर रहे हैं, जो हमारे इन अमूल्य प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करना चाहते हैं। इसलिए मैंने कहा कि राजस्थान को मैं किसी बाहरी व्यक्ति का चारागाह नहीं बनने दूंगा। और उसी के लिए ये यात्रा भी है। ये प्राकृतिक संसाधन इस प्रदेश की जनता और सरकार के हैं। मैं देख रहा हूं कि देश के विभिन्न हिस्सों में हमारे इन प्राकृतिक संपदा की लूट की तैयारियां हो रही हैं। लेकिन मैं ये लूट नहीं होने दूंगा।
 
कटारिया और आप तो गहरे दोस्त रहे हैं? फिर दूरियां क्यों पैदा हुईं?  
 
कौन किसके साथ खड़ा है, यह सबको मालूम है। मैं तो सिद्धांतों के साथ हूं। . . .कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यों तो कोई बेवफा नहीं होता। रात का इंतजार क्यों करें, आजकल दिन में क्या नहीं होता!. . .हम वफा करते रहे, वो जफा करते रहे, अपना-अपना फर्ज था अदा करते रहे। बहुत सी बातें हैं!  
 
 
राजेंद्र राठौड़ ने कहा था-वसुंधरा भाजपा हैं और भाजपा वसुंधरा  
 
देवकांत बरुआ ने जब कहा कि इंदिरा इज इंडिया, इंडिया इज इंदिरा तो जगन्नाथ राव जोशी ने सवाल उठाया कि इसमें ब्रह्मपुत्रकहां से बहती है, मुझे दर्शन कराओ। राजस्थान बलिदानियों की भूमि है और भाजपा उस विचारधारा से ओतप्रोत पार्टी है। आपातकाल में लोगों ने जुल्म सहकर भाजपा की नींव रखी। यह उन लोगों का अपमान है। भाजपा व्यक्ति विशेष की नहीं है। हो जाएगी तो मैं उसमें रहना ही पसंद नहीं करूंगा।  

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