आपका-अख्तर खान

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02 मार्च 2013

जिससे दिल के भाव हैं मिलते..

जिससे दिल के भाव हैं मिलते..
मन के तार भी जुड जाते..
आँखों में तारे आ चमकें...
फूल अनेकों खिल जाते....

कितना ही बेगाना हो, पर..
वो अपना सा लगता है..
जिसकी आने की आहट से..
दिल जो सदा धडकता है..

आखें बरबस चमक हैं उठतीं...
हृदय प्रफुल्लित हो जाता..
जब वह सम्मुख आ जाये तो...
चाहें वक्त ठहर जाता...

अनजाने, जाने कैसे क्यों..
अजनबी, अपने बन जाते...
बिन जाने, बिन समझे...
ही वो मन में आके बस जाते

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