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07 मार्च 2013

एफआईआर दर्ज नहीं की तो जाएंगे जेल

नई दिल्ली. एफआईआर दर्ज न करने वाले पुलिसवाले को अब जेल की हवा खानी पड़ेगी। केंद्र सरकार ने अपराध दर्ज न करने को भी अब भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत दंडनीय अपराध घोषित कर दिया है। यही नहीं, तफ्तीश के नाम पर दूर-दराज रहने वाले व्यक्ति को थाने में हाजिर होने का नोटिस भेजकर परेशान करना और सीआरपीसी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करना भी अब दंडनीय अपराध हो गया है। ऐसा अपराध करने वाले पुलिसवाले को अब एक साल तक की कैद की सजा और जुर्माना दोनों हो सकता है। सरकार ने आइपीसी में संशोधन कर एक नई धारा 166 ए जोड़ी है। इसमें तीन उप धाराएं ए,बी,सी हैं।
 
उपधारा ए के अनुसार दूर-दराज रहने वाले किसी व्यक्ति को तफ्तीश के नाम पर सीआरपीसी की धारा 160 का नोटिस देकर बुलाना अपराध है। उपधारा बी के अनुसार तफ्तीश के दौरान पूर्वाग्रह ग्रस्त होकर सीआरपीसी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन भी अपराध है। उपधारा सी के अनुसार किसी संज्ञेय अपराध की सूचना को दर्ज न करना और खासकर महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध को दर्ज न करना अपराध है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा 3 फरवरी को जारी किए गए एक अध्यादेश से यह कानून लागू हो गया है। दिल्ली गैंगरेप की वारदात के बाद कानूनों को सख्त बनाने के सिलसिले में सरकार ने आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम में अनेक संशोधन किए हैं। इनमें उपरोक्त संशोधन को सबसे अहम माना जा रहा है। इस संशोधन से अपराध पीड़ित को बड़ी राहत मिलेगी। अभी हालत यह है कि देश की राजधानी तक में अपराध के शिकार व्यक्ति की रिपोर्ट आसानी से दर्ज नहीं की जाती है। देश भर में अपराध को आंकड़ों को कम दिखाने के लिए अपराध की सभी वारदात को दर्ज न करने या हल्की धारा में दर्ज करने की परंपरा रही है। यह पुलिस और सत्ता पक्ष दोनों के अनुकूल होता है।
 

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