....मेरी अभीव्यक्ति...मै दर्द मिटाने आया हु,मै प्रेम जगाने आयाहु,
राहो मे तेरे काटे नही ,मै फूल बिचाने आया हु!
जख्म चाहे गहरे हो पर मै ,मलम लगाने आया हु!
कोयल सी बोली बोलो यारो, मै काग का राग छुडाने आया हु
दुखियारो का दुख मिटा कर, निर्बल को सम्बल देने आया हु!
तुम जो चाहो हाथ थाम लो ,मै नया जोश जगाने आया हु!
घर घर जाउंगा,एक नई अलख जगाउंगा!
छुआ छुत का भेद मिटा कर,समरस्ता बरसाउंगा!
मत छोड मुस्कान ओ साथी मेरे, मै दर्द मिटाने आया हु!
राहो मे तेरे काटे नही ,मै फूल बिचाने आया हु!
जख्म चाहे गहरे हो पर मै ,मलम लगाने आया हु!
कोयल सी बोली बोलो यारो, मै काग का राग छुडाने आया हु
दुखियारो का दुख मिटा कर, निर्बल को सम्बल देने आया हु!
तुम जो चाहो हाथ थाम लो ,मै नया जोश जगाने आया हु!
घर घर जाउंगा,एक नई अलख जगाउंगा!
छुआ छुत का भेद मिटा कर,समरस्ता बरसाउंगा!
मत छोड मुस्कान ओ साथी मेरे, मै दर्द मिटाने आया हु!
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