आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

23 मार्च 2013

....मेरी अभीव्यक्ति

....मेरी अभीव्यक्ति...मै दर्द मिटाने आया हु,मै प्रेम जगाने आयाहु,
राहो मे तेरे काटे नही ,मै फूल बिचाने आया हु!
जख्म चाहे गहरे हो पर मै ,मलम लगाने आया हु!
कोयल सी बोली बोलो यारो, मै काग का राग छुडाने आया हु
दुखियारो का दुख मिटा कर, निर्बल को सम्बल देने आया हु!
तुम जो चाहो हाथ थाम लो ,मै नया जोश जगाने आया हु!
घर घर जाउंगा,एक नई अलख जगाउंगा!
छुआ छुत का भेद मिटा कर,समरस्ता बरसाउंगा!
मत छोड मुस्कान ओ साथी मेरे, मै दर्द मिटाने आया हु!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...