Rajiv Chaturvedi
"रंग अब रोचक नहीं लगते
संग षड्यंत्रों से सहमा है
चलो इस शहर से दूर
सुनसानो में संगीत सुनता हूँ तेरी याद का
जिन्दगी जब बीत जाएगी तो लौट आऊँगा में
तुम्हारे ड्राइंग रूम में टंगी तश्वीर में
एक और तश्वीर बन कर ." ----राजीव चतुर्वेदी
"रंग अब रोचक नहीं लगते
संग षड्यंत्रों से सहमा है
चलो इस शहर से दूर
सुनसानो में संगीत सुनता हूँ तेरी याद का
जिन्दगी जब बीत जाएगी तो लौट आऊँगा में
तुम्हारे ड्राइंग रूम में टंगी तश्वीर में
एक और तश्वीर बन कर ." ----राजीव चतुर्वेदी
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