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26 मार्च 2013

आपके बच्चे का बोर होना ज़रूरी है


बच्चों के लिए बोरियत कितनी जरूरी है
बच्चों को बोरियत से नए विचार मिल सकते हैं
विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को बोर होने देना चाहिए ताकि वो सृजनशील होने की स्वाभाविक क्षमता को विकसित कर सकें.
शिक्षा विशेषज्ञ डॉक्टर टेरेसा बेल्टन ने बीबीसी को बताया कि बच्चों का लगातार सक्रिय रहना उनकी कल्पनाशीलता के विकास को बाधित कर सकता है.
उन्होंने लेखक मीरा सयाल और कलाकार गैरीसन पैरी से भी पूछा कि बचपन में बोरियत से कैसे उन्हें अपनी सृजनशीलता में मदद मिली.
सयाल का कहना है कि बोरियत ने उन्हें लिखने के लिए प्रेरित किया जबकि पैरी का कहना है कि ये बोरियत एक "सृजनशील अवस्था" होती है.
ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट अंगेलिका'ज स्कूल ऑफ एजुकेशन में वरिष्ठ शोधकर्ता डॉक्टर टेरेसा बेल्टन ने बोरियत के प्रभावों पर अपने अध्य्यन में कई लेखकों, कलाकारों और वैज्ञानिकों का इंटरव्यू किया.

बोरियत के फायदे

उन्होंने सयाल की यादों को बारे में सुना कि कैसे एक छोटे से खनन गांव में उनका बचपन बीता. डॉक्टर बेल्टन बताती हैं, “उनके पास करने को ज्यादा कुछ खास नहीं था. इसलिए वो लोगों से बातें करती थीं. अगर उनके पास करने को कुछ और चीजें होती तो ऐसा नहीं करतीं.”
"बोरियत अकसर अकेलेपन से जुड़ी होती है और सयाल को अपने बचपन में घंटों खिड़की पर खड़े होकर खेतों को देखकर बिताने पड़ते थे. वहीं से वो बदलते मौसम को देखती रहती थीं."
डॉ. बेल्टन, शिक्षा और व्यवहार विशेषज्ञ
वो कहती हैं, “बोरियत अकसर अकेलेपन से जुड़ी होती है और सयाल को अपने बचपन में घंटों खिड़की पर खड़े होकर खेतों को देखकर बिताने पड़ते थे. वहीं से वो बदलते मौसम को देखती रहती थीं.”
"लेकिन इस बोरियत ने आखिरकार उन्हें लेखक बना दिया. वो बचपन से डायरी लिखने लगीं. इसमें लघु कहानियां, कविताएं और वो सब कुछ होता था जो वो महसूस करती थीं. बाद में अपने लेखक बनने का श्रेय उन्होंने इन सब चीजों को ही दिया. "
वहीं हास्य अभिनेत्री से लेखक बनीं पैरी का कहना है कि “खाली पन्नों के साथ थोपा गया अकेलापन अद्भुत प्रेरक होता है.”
पैरी का मानना है कि बोरियत बड़ों के लिए भी बहुत फायदेमंद है. उनका कहना है, “बोरियत बहुत ही सृजनशील अवस्था है.”

'खाली न रहे खालीपन'

बच्चों के लिए बोरियत कितनी जरूरी है
बच्चों के हमेशा व्यस्त रहने को डॉ. बेल्टन ठीक नहीं मानती हैं
तंत्रिका विज्ञानी प्रोफेसर सुजन ग्रीनफ़ील्ड से भी डॉक्टर बेल्टन ने बात की. ग्रीनफ़ील्ड अपने बचपन को याद करते हुए बताती हैं कि कैसे उनके परिवार में पैसे की कमी थी और 13 साल की उम्र तक उनका कोई भाई बहन नहीं था.
बेल्टन बताती हैं, “उन्होंने खुशी खुशी अपना दिल बहलाया. इसके लिए वो कहानियां बनाती थीं. अपनी कहानियों के चित्र बनाती थीं और लाइब्रेरी जाती थीं.”
लेकिन डॉक्टर बेल्टन का कहना है कि सृजनशील होने के लिए आपके अंदर प्रेरणा जगनी जरूरी है. वो कहती हैं, “प्रकृति खालीपन को पसंद नहीं करती है और हम इसे भरने की कोशिश करते हैं. कुछ बच्चे बोरियत से पैदा होने वाली जगह को आंतरिक रूप से भरने में सक्षम नहीं होते हैं, उनके लिए स्थिति बदतर हो जाती है.”

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