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16 मार्च 2013

शिव, दुर्गा और हनुमान की पूजा धार्मिक कार्य नहीं!


 

मुंबई. इनकम टैक्‍स ट्रिब्‍यूनल का कहना है कि भगवान शिव, हनुमान और देवी दुर्गा किसी खास धर्म से ताल्‍लुक नहीं रखते हैं। ये यूनिवर्स की 'सुपरनेचुरल पावर्स' हैं। ट्रिब्‍यूनल ने नागपुर के एक मंदिर की अपील पर सुनवाई करते हुए यह बात कही है। ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा है कि हिन्दुत्व कभी कोई धर्म या कम्युनिटी नहीं रहा है।
इनकम टैक्स कमिश्नर ने नागपुर के शिव मंदिर देवस्थान पंच कमिटी संस्थान को टैक्स पर छूट देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि मंदिर अपनी 5 प्रतिशत रकम धार्मिक गतिविधियों पर खर्च करता है। इनकम टैक्स नियमों के मुताबिक टैक्स पर छूट तभी मिल सकती है, जब संस्थान किसी धर्म, जाति या वर्ग से सीधा-सीधा फायदा नहीं उठा रहा हो।
 
इनकम टैक्स कमिश्नर के फैसले के खिलाफ मंदिर संस्थान ने ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया, जहां पर आईटी कमिश्नर के आदेश को खारिज कर दिया गया। ट्रिब्यूनल ने कहा, 'भगवान शिव, हनुमान, मां दुर्गा की पूजा और मंदिर के रख-रखाव पर आया खर्च धार्मिक कार्यों में हुआ खर्च नहीं कहा जा सकता।'
 
ट्रिब्यूनल का कहना है कि हिंदू धर्म में कई सारे समुदाय हैं, जो अलग-अलग तरीकों से देवताओं को पूजते हैं। यहां तक कि हिन्दू जीवन शैली में इतनी आजादी है कि भगवान की पूजा करना भी जरूरी नहीं है।' ट्रिब्यूनल ने कहा कि समुदाय वह होता है, जहां एक ही जगह पर रहने वाले लोग एक ही तरह के कानूनों और नियमों का पालन करते हैं। ये सब ईसाई और इस्लाम पर लागू होता है, हिन्दू पर नहीं।
 
यह मामला 2008 से चल रहा है। इस मामले में टैक्स से बचने के लिए शिव मंदिर कमेटी संस्थान की तरफ से दलील दी गई कि मंदिर के दरवाजे हर समुदाय के लिए के लिए खुले थे। जाति, धर्म वगैरह किसी तरह की चीज़ों का भेदभाव नहीं किया। इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल के अकाउंटैंट मेंबर के. बंसल और जूडिशल मेंबर डी.टी. गेरसिया ने इस बात से सहमत हुए। उन्होंने कहा कि धर्म का मतलब है किसी 'सुपर ह्यूमन' चीज पर भरोसा करके उसकी पूजा करना। ट्रिब्यूनल ने कहा कि ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया गया, जो यह साबित करता है कि मंदिर संस्थान धर्म का प्रचार कर रहा था।

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