अजमेर। जैन श्वेताम्बर समाज में धडेबंदी से आहत होकर दादाबाड़ी मेें मणिप्रभ सागर के शिष्य मुनि मैत्रीप्रभ सागर अनशन पर बैठ गए हैं। वे जैन श्वेताम्बर समाज को एकसूत्र में पिरोना चाहते हैं। बीते दो दिन से अनशन पर बैठे मुनि ने शनिवार रात दो टूक कहा कि यदि दोनों धड़ों ने बुधवार तक (आगामी पूर्णिमा) तक आपसी सहमति से विवाद खत्म नहीं किया तो वे अपने जीवन को लेकर कठोर निर्णय भी कर सकते हैं। दोनों धड़े इसके लिए समान रूप से जिम्मेदार होंगे।
मुनि के अनशन शुरू करने के बाद श्री जैन श्वेताम्बर खतरगच्छ संघ तथा श्री जैन श्वेताम्बर श्रीसंघ के पदाघिकारी उन्हें मनाने मे जुट गए हैं। हालांकि मुनि इस बात पर अडिग हैं कि पहले दोनों संघो के पदाघिकारी एक साथ बैठकर आपसी विवाद समाप्त करें। उसके बाद ही वे अपना अनशन तोड़ेंगे। मुनि ने शुक्रवार सुबह 9 बजे से अन्न-जल पूर्ण रूप से त्याग कर रखा है। मुनि ने शनिवार रात पत्रकारो से बातचीत में कहा कि दादाबाड़ी में दादा जैनदत्त सूरि महाराज का अग्नि संस्कार हुआ था।
इसलिए यह उनकी समाघि स्थल मानी जाती है। यहां दो संघों के प्रतिनिघि दादाबाड़ी के अघिकारो को लेकर आपसी विवाद पर तुले हैं। समाज की एकजुटता के लिए यह स्थिति किसी भी दशा में उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि 'मेरी इच्छा है कि दोनो संघ बैठकर विवाद को खत्म करें, ताकि जैन समाज एकजुट होकर धार्मिक उत्थान के कार्यो को आगे बढ़ा सकें।'
दादाबाड़ी में खुले परिसर में तखत पर अनशन कर रहे मुनि के पास दोनो संघो के प्रतिनिघि भी मौजूद थे। इस दौरान जब पत्रकारो ने संघों के प्रतिनिघियों का पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने अघिकारिक बयान देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह उनका आपसी मामला है। इस संबंध में रविवार को बैठक करके मुनि को निर्णय से अवगत कराया जाएगा।
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