दोस्तों कल राजस्थान में भाजपा कार्यकारिणी की बैठक में अचानक दो सरकारी सी
आई डी खुफिया अफसरों को भाजपा के नेताओं ने धर लिया .....यह ख़ुफ़िया
अधिकारी चोरी छिपे पत्रकार का धारण कर इस बैठक का कवरेज करने गए थे ....यह
बात कोई नई नहीं है पहले खुद वसुंधरा के कार्यकाल में भी भाजपा के ही बागी
खेमे की रिपोर्टिंग के लियें ख़ुफ़िया पुलिस ऐसा कर चुकी है केन्द्रीय मंत्री
चिदम्बरम पर वर्तमान राष्ट्रपति की जासूसी के आरोप लगे ..अभी अरुण जेठ्ली
सहित कई नेताओं के टेलीफोन टेप करने और उनकी जासूसी करने के मामले चल रहे
है कुल मिलाकर हमारी सरकारें सी बी आई के दुरूपयोग के लियें और पुलिस के
दुरूपयोग के लियें खुले रूप से बदनाम है लेकिन जो ताकत हमारी विदेशी
आंतकवादियों को रोकने की है ..आन्तरिक कलह के बारे में जानकारी प्राप्त
करने की है उसे हम केवल और केवल सियासी जानकारी के लियें लगा देते है अफ़सोस
तो इस बात पर है के इस काम में देश हित की राष्ट्रभक्ति की शपथ लेने वाले
अधिकारी भी सरकार में बेठे दो कोडी के लोगों के मददगार होते है और एक दुसरे
के परस्पर उल्लू सीधा करते देखे जा सकते है ..ख़ुफ़िया अयोग्य अधिकारी
प्रमोशन प्राप्त करते है सुविधाएँ लेते है जबकि योग्य लोग दफ्तर की धूल
चाटते नज़र आते है ....जी हाँ दोस्तों हमारे देश में आई बी एक संस्था है
जिसका काम देश में आंतरिक अराजकता ....आतंकवाद ..देश के दुश्मनों का पता
लगाना है लेकिन अफ़सोस की बात है के आई बी के अधिकारीयों को मजबूर किया जाता
है के किस विधानसभा क्षेत्र से कोन्सा उम्मीदवार ठीक रहेगा सत्ता पार्टी
की क्या स्थिति है ....सियासी मुद्ददे कोनसे है जो चुनाव को प्रभावित
करेंगे ..कोन अधिकारी सत्ता के खिलाफ है ....सियासत का मतदाताओं का क्या
असर है रोज़ मर्रा हमारे देश के हजारों आई बी अधिकारी जो लाखों रूपये का
वेतन देश की सुरक्षा को खतरे को रोकने वाली खबरों को एकत्रित करने के लियें
तेनात है वोह सियासी खबरों को अपने नेताओं को खुश करने के लियें कलेक्ट
करते देखे जा सकते है मजेदार बात तो यह है के इन आई बी या दुसरे ख़ुफ़िया अधिकारियों द्वारा
प्रस्तुत रिपोर्ट पर कार्यवाही भी नहीं होती है नेता रिपोर्ट तो सभी से
मंगवाते है लेकिन ना तो प्रशासनिक सुधर करते है और न ही सियासी सुधर करते
है ऐसे में इन अधिकारियों की पूरी महनत बेकार जाती है जेसा सभी जानते है जब
सरकारे बदलती है तो सरकारें जाने के पहले यह अधिकारी यह सत्ता पक्ष के लोग
विपक्षी नेताओं के खिलाफ एकत्रित जानकारिय या खुद की पार्टी के बागी नेतओं
की ख़ुफ़िया जानकारियाँ जला कर नष्ट क्र देते है जो अरबों रूपये के खर्च से
सूचनाएं एकत्रित होती है वोह सूचनाये पल भर में स्वाहा हो जाती है
..दोस्तों सरकारे ख़ुफ़िया अधिकारीयों को बेकार की सूचनाये एकत्रित करवाने के
स्थान पर अगर आतंककारी घटनाओं की जानकारी को एकत्रित करने के लियें लगवाएं
तो शायद देश की सरहदों पर कोई आतंकी परिंदा भी पर नहीं मार सके ..इतना ही
नहीं देश के विभिन्न हिस्सों पर होने वाली आंतककारी घटनाओं पर भी रोक लग
सकेगी लेकिन क्या ऐसा हो सकेगा शायद हाँ शायद नहीं ..हां अगर खुफिया
अधिकारी इस मामले में राजनितिक चापलूसी समाप्त क्र खुद को देश हित में
राष्ट्र हित में लगा दे तो देश की तस्वीर बदल जायेगी लेकिन वोह भी क्या
करें उन्हें रिटायरमेंट के बाद किताबे लिख कर पार्टियों के लियें जासूसी
करके रूपये कमाना पढ़ते है इसलियें तो वोह भी इस पाप में जनता के खिलाफ
कानून के खिलाफ उनकी राष्ट्रभक्ति की शपथ के खिलाफ वोह यह सब करते हुए पाए
जाते है और इस गद्दारी को यह ख़ुफ़िया पुलिस के लोग अपनी वफादारी समझ कर
नेताओं के तलवे चाटते नज़र आते है ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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