भाई
इस फार्मूले को गांठ बाँध कर रख लो वरना घरेलु हिंसा ......दहेज़ प्रताड़ना
......महिला प्रताड़ना सहित ना जाने क्या क्या मुसीबते है अगर बीवी सब्जी
में नमक तेज़ कर दे तो खामोश रहो .माँ से बहनों से पिता से बदतमीजी करे तो
खामोश रहो ....खाना बने या ना बने खामोश रहो ..कपड़े धुले या न धुले खामोश
रहो ..किसी गेर मर्द से बात करे आप मना करे ना माने तो कोई बात नहीं कुछ मत
कहो ....वेसे भी भारत में पतियों और पत्नी के ससुरावालों की आधी से अधिक
ऐसी जनसंख्या है जिसने अपने घर में ओरत को झाड़ू देते हुए ...कपड़े धोते हुए
..कपड़े सीते हुए ..कपड़ों पर प्रेस करते हुए और गाँव में कुए से पानी लाते
हुए ...चक्की पीसते हुए नहीं देखा होगा आधे से ज्यादा ऐसे पति है जिन्हें
पत्नी के हाथ का मनपसन्द खाना न मिला होगा ....कई पति ऐसे है जिन्हें
मजबूरी में सप्ताह या महीने में एक बार तो पत्नी को होटल पर सडा गला बिना
पसंद का खाना खिलाने के लियें हजारों रूपये खर्च कर बेमन से जाना पढ़ता होगा
इसलियें कहते है भाई खुश रहना है तो ................जोरू का गुलाम पति
बनकर रहो वरना मुकदमे और आरोपों की तलवार पता है ना ............दूसरी बात
संस्कारवान पत्नी जो सही मायनों में पति की प्रताड़ना भी सहती है सेवा भी
करती है सास के पैर भी दाबती है घर के सरे काम नोकरों की तरह से करती है
उनसे डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि वोह किसी भी सूरत में पति या ससुराल
पक्ष को नुकसान नहीं पहुंचाएगी तो जनाब ओरत के दो रूप है एक मेरी पत्नी
जिसका में गुलाम हूँ और चुप मूंह खिदमतगार बना हुआ हूँ इसीलिए तो भाई कई
मुसीबतों से बचा हुआ हूँ क्यों क्या कहते हो भाई ............अख्तर खान
अकेला कोटा राजस्थान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)