आपका-अख्तर खान

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02 मार्च 2013

क्या, आज मै कुछ कहूँ !

क्या, आज मै कुछ कहूँ !
या, फिर यूँ ही चुप रहूँ !!

कुछ कहने पर, नहीं हो कुछ भी तो सुनते !
चुप भी फिर क्यू सदा, हमें रहने नहीं देते !!

गर,यूँ ही यदि चुप रहता और भूले से कभी कुछ न कहता !!
कम से कम संतोष तो होता, दिल बेचारा कभी यूँ ना रोता !!

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