दोस्तों राजस्थान में अपनी मांगों के समर्थन में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर
रहे वकीलों के आन्दोलन के बाद पुलिस और वकीलों की झड़प के बाद उपजी स्थिति
ने राजस्थान की पुलिस और राजस्थान सरकार के चेहरे पर कालिख पोत दी है
..पुलिस का रवय्या में यह करूं वोह करूं मेरी मर्ज़ी वाला रहा है।।निरंकुश
पुलिस राजस्थान सरकार द्वारा पुलिस को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने के
कारण अब उसे ब्लेक मेल करने पर तुली है और इस घटना पर राजस्थान सरकार को तो
जेसे सांप ही सूंघ गया हो ..राजनितिक विश्लेषक ..लेखक ...चिन्तक ..पत्रकार
और विपक्ष में बेठे भाजपा के लोग जेसे राजस्थान में है ही नहीं है खुले आम
गुंडा गर्दी खुले आम धमकियां और सरकार की चुप्पी इस बात का सुबूत है के यह
सब कहीं ना कहीं सरकार के इशारे पर हो रहा है ........बात छोटी सी है लेकिन मुद्दे की है वकील और पुलिस झड़प हुई माहोल बिगड़ा वकील पुलिस पर क्रूरता का आरोप लगाते
है पुलिस वकीलों पर आक्रामक होने का आरोप लगाते है दोनों पक्षों के आरोप
प्रत्यारोप में विरोधाभास है तो सरकार को निष्पक्ष जाँच के तुरंत आदेश देना
चाहिए थे लेकिन सरकार कानों में रुई डाल कर सो गयी और वकीलों के खिलाफ
पुलिस को भडकाया ....नतीजा अदालत को न्यायिक बात करना पढ़ी आदालत के आदेश थे
के सारे मामले की निष्पक्ष जांच किसी हाईकोर्ट के जज से कराई जाए और जांच
प्रभावित ना हो जाँच निष्पक्ष हो ..साक्ष्य और सबूतों के साथ छेड़ छाड़ न हो
इसके लियें सम्बन्धित आरोपी अधिकारीयों को जांच होने तक अंतरिम रूप से पद
से हटा दिया जाए ..एक् न्यायिक आदेश जिसकी सभी को पालना करना थी लेकिन
सरकार की चुप्पी और पुलिस की हठ धर्मिता थी के जयपुर के पुलिस कर्मी सभी
मर्यादाएं कानून की परम्पराएं पुलिस अधिनियम की बंदिशें त्याग कर सडकों पर
उतर आये नारेबाजी की कोटा में तो वकीलों को गुंडों की तरह से सादी वर्दी में आकर धमकाया .....पुलिस का यह रवय्या किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं बलके उस न्यायिक आदेश के खिलाफ था जिसमे कोन
गलती पर है उसका खुलासा होना था ..पुलिस नहीं चाहती थी के उनके काले
कारनामे इस जाँच में सामने आये उन्होंने तो शेतानी काम कर खुद को भगवान
समझ लिया है इसलियें कहते है जो हमने कर दिया वोह अंतिम है ...सरकार जो इस
पुलिस को हथियार के रूप में इस्तेमाल करती रही है कभी गोपालगढ़ के निहत्थे
लोगों को मरवाया कभी सियासत और रंजिश के आधार पर लोगों को गिरफ्तार करवाया
ऐसे में वोह पुलिस अधिकारीयों से ब्लेकमेल होती रही है यही वजह है के
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश निर्देशों के बाद प्रकाश सिंह वाले मामले
में दिए गए दिशा निर्देशों का अमल नहीं किया और पुलिस अधिनियम में दिए गए
प्रावधानों के तहत कोई भी समितिया नहीं बनायीं सी एल जी समितियों में
अपराधी और दलाल भरे पढ़े हैं ...राज्य स्तर पर पुलिस आयोग का गठन नहीं हुआ
....पुलिस गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लियें राज्य स्तरीय और क्षेत्रीय
जिला स्तर पर पुलिस जवाबदार समिति का गठन नहीं किया गया है ...इतना ही नहीं
ट्रांसफर ..प्रमोशन और दुसरे मामले देखिने के लियें समिति बनाने के आवश्यक
प्रावधानों के बाद भी समिति का गठन नहीं किया गया है और सरकार ने मनमाने
तोर पर यह ट्रांसफर प्रमोशन किये है बात साफ है पुलिस सरकार से सरकार पुलिस
से मिली हुई है वकीलों पर लाठीचार्ज करवाने में भी सरकार की मंशा साफ़
ज़ाहिर हो गयी है और वकीलों पर सरकार पुलिस के डंडे के जरिये प्रताड़ना का
डोर चलाना चाहती है यह बात भी साफ़ हो गयी है सादी वर्दी में डियूटी पहचान
छुपा कर डियूटी गुंडों की तरह धमकाने की मुद्रा में हमलावर होकर डियूटी यह
सब क्या है जब इनकी इस कारगुजारियों को खोलने के लियें न्यायिक जाँच के
आदेश होते है और साक्ष्य प्रभावित न हो खुद अधिकारी गवाहों को पद पर रहकर
डराएँ नहीं इसलियें न्यायिक सिद्धान्तो के तहत आरोपी अधिकारीयों को कुछ
गिनती के दिनों के लियें जगह बदलने का आदेश होता है तो पुलिस और सरकार
तिलमिला उठती है सडकों पर प्रदर्शन गुंडागर्दी क्या येह पुलिस की परम्परा
है अगर अदालत के आदेश का सम्मान नहीं कर सकते तो उसे सडकों पर रोंदने का हक
किसने दिया उस पर न्यायिक अधिकारीयों को ब्लेकमेल करने की धमकी उनके
सुरक्षा गार्ड हटा लेंगे बेशर्मी इस सभी हदे पार हो गयी है ..पुलिस अधिनियम
....पुलिस कोड ऑफ़ कन्डक्ट में ऐसे प्रदर्शन ऐसी बयानबाजी की सिर्फ एक ही
सज़ा बर्खास्तगी है नोकरी से बर्खास्तगी आगे यह पुलिस कर्मी नोकरी छोड़ना चाहते
है तो छोड़े नई भर्तियाँ होंगी नये बेरोजगारों को नोकरी मिलेगी हमे नहीं
चाहिए ऐसे पक्षपात करने वाले पुलिसकर्मी ऐसे पक्षपात करने वाले पुलिस
अधिकारी जो रिश्वत लेते हो जो पुलिस और सरकार को बदनाम करते हो सभी जानते
है के आई पी एस लेवल तक के अधिकारी किस तरह से रिश्वत लेकर जेल में है किस
तरह से रूपये लेकर फर्जी ऍन काउंटर मामले में जेल में है दर असल यह पुइस
कर्मी अपने इन साथियों की जमानत नहीं होने से न्यायिक अधिकारीयों से नाराज़ लगे और यह इसी रंजिश का यह नतीजा
है ....अब तो जब ट्रक राजस्थान में वकीलों आन्दोलन है राजस्थान पुलिस पर
भरोसा नहीं किया जा सकता राजस्थान में निष्पक्ष पुलिस तेनात करने के लियें
केंद्र की टोली या फिर सेना को नियुक्त करना जरूरी हो गया है ताकि जो गलत
करे उसके खिलाफ कार्यवाही हो और तब निश्चित तोर पर राजस्थान पुलिस के कई
अधिकारी जेल में होंगे अभी भी सारी घटना की जांच सी बी आई से करवाई जाए तो
निश्चित तोर पर दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा मंत्रियों और
ज़िम्मेदार सरकार के लोगों के साथ इन पुलिस कर्मियों की मोबाइल कोल डिटेल
..वायरलेस संदेश सभी इनकी सांठ गाँठ की पोल खोल देंगे शर्म की बात यह भी
है के इस घटना चक्र पर विपक्ष की चुप्पी इस सांठ गांठ को और मजबूती देती
है ....सरकार अगर इन पुलिस अधिकारियों और पुलिसकर्मियों के खिलाफ
अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीं करती है तो कानून व्यवस्था का तो यहाँ जनाज़ा
निकला समझो ..न्यायिक अधिकारीयों और न्यायधीशों के खिलाफ पुलिस कर्मियों की
खुली टिपण्णी न्यायालय के आदेशों का अपमान है और सरकार भी इसके लियें दोषी
है इन परिस्थितियों में यहाँ राष्ट्रपति शासन के हालात उपज गए है
....अख़बारों से जुड़े लोग और मिडिया कर्मी कोई यह सच नज़र नहीं आता और वोह इस
सच को उजागर कर राजस्थान को इन अपराधियों से न जाने किस दबाव में बचाना
नहीं चाहते ..............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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