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26 मार्च 2013

क्या आप लिखेंगे किसी अजनबी को प्रेम पत्र?



अजनबियों को प्रेम पत्र लिखने वाली लड़की
“तुम मेरे लिए बहुत अहमियत रखते हो. मैं बता नहीं सकती हूं, लेकिन तुम मेरे लिए बहुत अहम हो. और तुम, तुम बहुत ही अच्छे हो.”
इस तरह की बातें आप अजनबियों के लिए नहीं लिखते हैं.
लेकिन जब हन्ना ब्रेंशनर स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद न्यूयॉर्क शहर जाकर वहां रहने लगीं तो वो चिंतित और परेशान रहने लगीं. उन्हें लगा कि आसपास के लोगों को उनकी कोई कद्र या जरूरत नहीं है.

अजनबी के लिए प्रेम पत्र

तुम और मैं एक दूसरे को नहीं जानते हैं. हम कभी ना मिल हों या एक साथ कभी हंसी मजाक न किया हो. हो सकता है कि हमने कभी एक साथ डांस न किया हो और न ही आधी रात को एक साथ उबासी ली हो. लेकिन इन सब बातों की मेरे लिए कोई अहमियत नहीं है. ये बहुत छोटी और बेमतलब बातें हैं. बल्कि मैं तुमसे ये कहना चाहती हूं कि तुम बहुत प्यारे हो. तुम बहुत कीमती हो. तुम्हारे हाथ बड़ी बड़ी चीजों के लिए बने हैं.

तुम शायद सोचोंगे कि मै पागल हूं. हो सकता है कि तुम ये खत हाथ में लिए बैठे हो और मेरे बारे में सोच रहे हो, लेकिन तुम नहीं जान सकते.. तुम मुझे नहीं जानते हो.. तुम मुझे रत्ती भर भी नहीं जानते हो. हां. तुम्हारी बात सही है. लेकिन मैं सब कुछ जानती हूं. मैं सोचती थी कि मैं इसके काबिल नहीं हूं. मैं जानती हूं कि कभी खुद को प्यार करना और अपनी कद्र करना मेरे लिए कितना मुश्किल था. मेरे लिए खुद को आइने में देख पाना भी मुश्किल हो जाता था. और मुझे पता है कि मैं अकेली नहीं हूं जिसे सहारे और समर्थन की जरूरत पड़ती है. मैं जानना चाहती हूं कि कहीं तो कोई होगा जिसे मेरी परवाह हो.

तुम मेरे लिए बहुत अहमियत रखते हो. मैं बता नहीं सकती हूं, लेकिन तुम मेरे लिए बहुत अहम हो. और तुम, तुम बहुत ही अच्छे हो. तुम और तुम्हारे सारे हिस्से.
लव,
एक लड़की जो अपना रास्ता तलाशने की कोशिश कर रही है
फिर उन्होंने अजनबी लोगों को प्रेम पत्र लिखने शुरू किए जिन्हें वो शहर के अलग अलग हिस्सों में छोड़ती थीं. पहला पत्र उन्होंने एक ट्रेन में छोड़ा जिस पर लिखा था, “अगर आपको ये मिलता है, तो ये आपके लिए ही है.”
इसके बाद उन्होंने लाइब्रेरी, कैफे जैसी कई जगहों पर ऐसे प्रेम पत्र छोड़े.

अकेलेपन से राहत

उन्होंने बीबीसी को बताया, “मैंने महसूस किया कि मेरी उदासी और अकेलापन दूर हो गया. मुझे कुछ ऐसा मिल गया था जिसने मेरा ध्यान अपने आप पर से हटा दिया था.”
हन्ना और उनकी 'मोर लव लेटर्स' मुहिम कुछ लोगों को बकवास लग सकती है लेकिन शोध बताते हैं कि दूसरों के प्रति दयालु होना या अच्छे ख्याल रखना दरअसल आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है.
'इमोशन' पत्रिका में छपा एक अध्ययन कहता है कि दयालुता सामाजिक तौर पर अलग थलग पड़े या तनावग्रस्त लोगों को सकारात्मक नजरिया देने में मदद कर सकती है.
यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया की डॉ. लिन एल्डेन और डॉ. जेनिफर ट्रू ने चार हफ्तों तक उदासी और अकेलेपन के शिकार कुछ लोगों से हफ्ते में दो दिन दयालुता और भलाई के काम करने को कहा.

छोटे काम, बड़ा असर

डॉ. एल्डेन कहती हैं, “कभी कभी लोग किसी को एक छोटा का तोहफा देते हैं, किसी बीमार से मिलने जाते हैं या कभी कभी बस ड्राइवर को शुक्रिया बोलते हैं. कहने को तो ये सब छोटे काम हैं, लेकिन इनका असर बड़ा होता है.”
एल्डेन के अध्ययन में चार हफ्तों तक हिस्सा लेने के बाद उन लोगों ने न सिर्फ अपने आप में बेहतरी महसूस की, बल्कि उनमें संबंधों को लेकर संतोष भी पहले से ज्यादा पाया गया.
वैसे लंदन के सेंटर फॉर एंग्जाइटी डिसऑर्डर्स और ट्रोमा के निदेशक डॉ. निक ग्रे को शुरुआत में इस विचार पर संदेह था कि भलाई के काम करने से चिंता और तनाव से जूझ रहे इन लोगों पर कोई चिकित्सीय असर होगा.
वो कहते हैं, “मैंने शोधपत्र नहीं देखा था. इसलिए मुझे इसका शीर्षक देख कर कुछ शक हुआ था. लेकिन ये अच्छा शोधपत्र है और इसे एक सम्मानित टीम ने तैयार किया है.”
एल्डेन मानती हैं कि इस तरह की परेशानियों से जूझ रहे लोगों के लंबे इलाज में दयालुता एक शुरुआती कदम हो सकता है.

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