आपका-अख्तर खान

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14 मार्च 2013

"बेचैन से शब्दों में

"बेचैन से शब्दों में बेबस सी शिकायत है,
संवेदना में उनकी शातिर सी किफायत है
मुलजिम का मुकद्दर वह क़ानून से पढता है
हर जुल्म की जहां उसमें रियायत ही रियायत है
यह दौर ही ऐसा है, यहाँ ऐसी रवायत है
बदकार को ही मिलती हाकिम की हिमायत है
जजवात का जोखिम नहीं जेबों के बजन देखो
इन्साफ की इमारत में बिकती तो इनायत है ."
----राजीव चतुर्वेदी

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