Ravi Singhania
वो हवा कि, है सिर्फ़ खुश्बू,
साया कि अक्स मेरे वज़ूद का,
यदि वो दोस्त है तो दिखना ज़रूरी नहीं,
एक एहसास है जो दिल में पलता है....
हाथों की लकीरों से परे रहता है
मेरे नसीब में होकर भी दूर रहता है
एक ख्वाब है वो अक्सर मुझे छू लेता है
एक एहसास है जो दिल में पलता है...!!!
वो हवा कि, है सिर्फ़ खुश्बू,
साया कि अक्स मेरे वज़ूद का,
यदि वो दोस्त है तो दिखना ज़रूरी नहीं,
एक एहसास है जो दिल में पलता है....
हाथों की लकीरों से परे रहता है
मेरे नसीब में होकर भी दूर रहता है
एक ख्वाब है वो अक्सर मुझे छू लेता है
एक एहसास है जो दिल में पलता है...!!!
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