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27 मार्च 2013

इसी जगह पर हजारों साल पहले जलकर खाक हो गई थी होलिका!



महान पर्व होली के एक दिन पहले होलिका दहन होता है। होलिका हिरणकश्यप की बहन थी, जो अपने भाई के कहने पर प्रह्लाद को मारना चाहती थी, लेकिन खुद मर गई। इसके बाद से ही होलिका दहन शुरू हुआ। यह बुराइयों पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है, लेकिन यह बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि हिरण्यकश्यप की बहन होलिका का दहन बिहार की धरती पर हुआ था। जनश्रुति के मुताबिक तभी से प्रतिवर्ष होलिका दहन की परंपरा की शुरुआत हुई।
 
मान्यता है कि बिहार के पूर्णिया जिले के बनमनखी प्रखंड के सिकलीगढ़ में ही वह जगह है, जहां होलिका भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर दहकती आग के बीच बैठी थी। ऐसी घटनाओं के बाद ही भगवान नरसिंह का अवतार हुआ था, जिन्होंने हिरण्यकश्यप का वध किया था।
 
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सिकलीगढ़ में हिरण्यकश्यप का किला था। यहीं भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए एक खंभे से भगवान नरसिंह ने अवतार लिया था। भगवान नरसिंह के अवतार से जुड़ा खंभा (माणिक्य स्तंभ) आज भी यहां मौजूद है। कहा जाता है कि इसे कई बार तोड़ने का प्रयास किया गया। यह स्तंभ झुक तो गया, पर टूटा नहीं।

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